एनडीए को बहुमत तो मिल गया है, लेकिन पहले दिन से ही संशय के बादल छा गए हैं। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू दोनों मंझे हुए राजनीतिज्ञ हैं। दोनों नेता प्रधानमंत्री मोदी के हनुमान बनने वाले नहीं हैं। अभी से जो खबरे मिल रही हैं, उससे भाजपा में परेशानी है। दोनों नेता मंत्रिमंडल में शामिल होंगे, लेकिन माना जा रहा है कि दोनों हार्ड बारगेनिंग कर रहे हैं। दोनों अगले दो-तीन महीना में क्या करेंगे, इस पर भी तरह-तरह की चर्चा है।
एनडीए की दिल्ली में बुधवार को हुई बैठक में सभी दलों ने सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुन लिया। बैठक में घटक दलों के 21 नेता शामिल थे। इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा जदयू के ललन सिंह और संजय झा भी शामिल हुए। लोजपा के चिराग पासवान और जीतनराम मांझी भी बैठक में थे। माना जा रहा है कि 8 जून को प्रधानमंत्री मोदी पद की शपथ लेंगे।
इधर खबर है कि नीतीश कुमार ने बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है। इसके साथ ही मंत्रिपरिषद में चार स्थान मांगे हैं, जिसमें रेल मंत्रालय भी शामिल है। चंद्रबाबू नायडू भी आंध्र प्रदेश के लिए विशेष मांग कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि सरकार गठन तक तो कोई समस्या नहीं है। मंत्री पद देने पर भाजपा तैयार हो जाएगी। उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है। असली परेशानी महीने भर बाद ही होगी।
नीतीश कुमार को मालूम है कि अगले साल ही बिहार में विधानसभा चुनाव है। उससे पहले वे बिहार के लिए केंद्र से बड़ा प्रोजेक्ट चाहेंगे। विशेष राज्य का दर्जा उनकी पुरानी मांग रही है। अब अगर वे नहीं मांगते हैं, तो चुनाव में वे घिर जाएंगे, जबकि अगर विशेष दर्जा ले लेंगे, तो नीतीश की स्थिति मजबूत हो जाएगी। विशेष दर्जा देने में मोदी सरकार ने आनाकानी की, तो नीतीश कुमार एनडीए से अलग होकर 2025 चुनाव में उतरना चाहेंगे। वे कहेंगे कि भाजपा ने बिहार को धोखा दिया है। तब उनकी स्थिति बेहतर होगी, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार फंस जाएगी। देखिए, महीने भर में खेल शुरू होगा।
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जहां मोदी ने मुस्लिमों को घुसपैठिया कहा, वहां ढाई लाख से हारी भाजपा
उधर आज ही दिल्ली में इंडिया गठबंधन के दलों की बैठक हुई। गठबंधन ने देश की जनता का आभार जताया है। नेताओं ने कहा कि भाजपा को अकेले बहुमत नहीं मिलना, व्यक्तिगत रूप से नरेंद्र मोदी की हार है।