केंद्र में एनडीए सरकार गठन के तीन बाद ही खटपट शुरू हो गई है। आंध्रप्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के मुख्यमंत्री पद के शपथ समारोह में एनडीए के कई नेता, केंद्र के दो दर्जन मंत्री पहुंचे, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं गए।
बुधवार को आंध्र प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के बतौर चेंद्र बाबू नायडू ने शपथ ली। विजयवाड़ा में शपथ समारोह में एनडीए नेता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, प्रफुल्ल पटेल सहित 24 केंद्रीय मंत्री शामिल हुए। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शपथ समारोह में शामिल थे। एनडीए के इतने बड़े आयोजन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शामिल नहीं होने पर चर्चा छिड़ गई है। स्पष्ट तौर पर इसे नीतीश कुमार की असहज स्थिति और एनडीए में खटपट से जोड़ कर देखा जा रहा है।
केंद्र सरकार में जदयू को सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री का पद दिए जाने और महत्वपूर्ण मंत्रालय से वंचित किए जाने पर पार्टी में पहले से बवाल है। जदयू नेताओं का कहना है कि जदयू नेता केंद्र सरकार में विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, रेल मंत्री, सड़क परिवहन मंत्री रह चुके हैं। इस बार इन महत्वपूर्ण मंत्रालयों से वंचित किया गया और पशुपालन मंत्रालय दे दिया गया।
मुख्यमंत्री की विशेष राज्य का दर्जा पुरानी मांग रही है। इस पर अबी तक कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं मिला है। विशेष पैकेज की बात भी अधर में है। 2025 का विधानसभा चुनाव करीब है। अगर इस बीच नीतीश कुमार केंद्र से बिहार के विकास के लिए कुछ खास नहीं ले पाए, तो उनकी स्थिति बदतर हो सकती है। नीतीश कुमार बिहार में जल्द चुनाव कराना ताहते थे, वह भी नहीं हो पा रहा है। इस स्थिति में नीतीश कुमार के बारे में कहा जा रहा है कि वे एनडीए में सहज नहीं हैं।
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उधर जदयू नेताओं ने कहा कि नीतीश कुमार के आंध्र प्रदेश नहीं जाने को नाराजगी से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। मंत्री जमा खान ने कहा कि हो सकता है मुख्यमंत्री की तबीयत खराब हो। पार्टी ने आधाकारिक रूप से नहीं बताया है कि नीतीश कुमार नायडू के शपथ समारोह में क्यों नहीं गए।