इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम
नीतीश की “बीमार चुप्पी” से दिल्ली में अमित शाह के कान गूंजने लगे तो उधर कुवैत का सर्वोच्च सम्मान ग्रहण करते हुए मोदी बाहर से जितने हंसमुख भले दिख रहे थे, अंदर ही अंदर नीतीश के खतरनाक इरादे देख कर मुरझाये हुए थे.
इधर बिहार के झुटभैये भाजपाई नेताओं की कभी जय नीतीश, कभी जय अमित शाह के चक्कर में मिट्टी पलीद हो रही थी. इतने में दृश्य पटल पर तेजस्वी का आधी रात का अभियान ऐसे भाजपा की धड़कने बढ़ा गया कि उसकी सारी चौधराहट धरी की धरी रह गयी. दिल्ली ने भाजपा के बिहारी नेताओं को तलब किया. हालात समझा और कह कि कह दो कि नीतीश ही नेता रहेंगे 2025 में.
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आंबेडकर के बाद गांधी निशाने पर, बिहार के राज्यपाल ने की विवादित टिप्पणी
इससे पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, अमित शाह की झिडकी खा कर कह चुके थे कि 2025 चुनाव के नेतृत्व का फैसला हाईकमान करेगा.
इधर जदयू का आफिसयिल ट्वीटर हैंडल से की गयी टिप्पणी भाजपा के सीने में खंजर बन कर उतर रही थी. कहा गया था कि-
जब बात बिहार की हो
नाम सिर्फ नीतीश कुमार का हो.
हरियाणा-महाराष्ट्र की जीत से अघाये, अमित शाह की बादशाही की चूलें बिहार के चाणक्य ने हिला दी है. और 23 की सुबह जब वह प्रगति यात्रा पर निकले तो सफेद चकाचक कुर्ते पर सुरमई बंडी चढ़ाये जब हेलिकॉप्टर का दरवाजा पकड़ के मुस्कुराये तो बिहार की 13 करोड़ जनता चकित थी कि वायरल बुखार होने पर नीतीश इतने फिट दिख रहे हैं तो उन्हें हमेशा उस अनोखे वायरस को अपने पास रखना चाहिए जो उनकी सेहत को चकाचक बनाये रखती है.
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