मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बीच बढ़ती नजदीकी से लगता है, भाजपा घबरा गई है। राज्य के वरिष्ठ IAS तथा ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव संजीव हंस के यहां ईडी की छापेमारी के बाद यह चर्चा तेज हो गई है। बिहार में एनडीए सरकार है, उसके बावजूद नीतीश कुमार के अधिकारी के यहां ईडी का छापा पड़ने से लोग चकित हैं। ऊर्जा विभाग आम तौर से जदयू के पास रहा है। जदयू के वरिष्ठ नेता बिजेंद्र यादव लंबे समय से ऊर्जा मंत्री हैं। माना जा रहा है कि ईडी की यह कार्रवाई नीतीश कुमार पर दबाव बनाने के लिए की गई है, ताकि वे एक बार फिर से पाला न बदलें।
याद रहे नीतीश कुमार अपने अधिकारियों पर विशेष भरोसा रखते हैं। संजीव हंस को ऊर्जा विभाग का प्रधान सचिव बनाए जाने से समझा जा सकता है कि वे नीतीश कुमार के कितने करीबी हैं। पूर्व में आईएएस संजीव हंस तथा पूर्व विधायक गुलाब यादव पर एक महिला ने रेप का आरोप लगाया था। उस मामले को सरकार ने कोई तवज्जो नहीं दिया और मामला ठंडे बस्ते में है। याद रहे आज ही ईडी ने गुलाब यादव के यहां भी छापा मारा है।
राजनीतिक गलियारे में चर्चा यह भी है कि केंद्र सरकार नीतीश कुमार के समर्थन से टिकी हुई है, इसके बावजूद लिशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया गया और अब विशेष पैकेज के सवाल पर भी केंद्र आनाकानी कर रहा है। ऐसे में नीतीश कुमार केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले सकते हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार समर्थन वापस न लें और केंद्र पर दबाव न बना सकें, इसलिए वरिष्ठ आईएएस के यहां छापा मारा गया। छापे के बाद ईडी कई दस्तावेज साथ ले गया है। तो क्या नीतीश सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा कर उन्हें काबू में करने की कोशिश की जाएगी।
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दस साल में पहली बार भाजपा में सिरफुटौव्वल
वरिष्ठ आईएएस संजीव हंस के यहां छापे से भाजपा और जदयू में खटास बढ़ गया है। पहले से दोनों दलों में संबंध सामान्य नहीं है, खासकर रुपौली में हार से जदयू नाराज है। उसका मानना है कि भाजपा का वोट ट्रांसफर नहीं हुआ। नीतीश कुमार के करीबी आईएएस के यहां छापा मार कर नीतीश कुमार को संदेश दे दिया गया है, अब सबको नीतीश कुमार के अगले कदम का इंतजार है। तेजस्वी यादव पूरे मामले पर चुप हैं।