बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने राज्य की जनता के समक्ष नीतीश कुमार के 20 वर्षों के शासन काल में अपराध का आधिकारिक रिकार्ड रखा. ये आंकड़े एनसीआरबी के हैं. 20 वर्षों में 60 हजार हत्यायें हुईं. 25 हजार से अधिक रेप या गैंगरेप हुए. इतना ही नहीं, पुलिस वालों की सबसे अधिक हत्या या पिटाई भी उनके शासनकाल में हुई है.
तेजस्वी यादव ने कहा कि इधर सिर्फ कुछ दिन में अररिया में एएसआई की हत्या हुई. मुंगेर में एएसआई की हत्या हुई. भोजपुर में हत्या हुई. वहां तो एसपी के घर के सामने से खुले आम 25 करोड रुपये की लूट हो जाती है. भागलपुर में पुलिस की पिटाई होती है, मनेर में पुलिस को पीटा जाता है. इसी तरह नवादा में भी पुलिस की पिटाई होती है. जहानाबाद में इसी तरह की घटना हुई और आज तो खबर मिली है कि किशनगंज में भी एसएसबी के जवानों को पीटा गया.
अब इस अराजक स्थिति पर सीधा सवाल है कि कहां है कानून व्यवस्था ? कहां हैं बिहार के गृहमंत्री ? क्या वह अचेत पड़े हैं ? ये सवाल तो पूछा जायेगा. तो क्या इसका दोष आप लालूजी के सर मढ़ देंगे ? ये लोग लालूजी के 15 वर्ष के कार्यकाल की बात करते हैं. अरे आप अपने बीस सालों का हिसाब दीजिए. ये मामूली आंकड़ा नहीं है. 60 हजार हत्यायें, 25 हजार बलात्कार और सबसे ज्यादा पुलिस वालों की हत्या और पिटाई इनके कार्यकाल में हुए हैं. इसका हिसाब नीतीश कुमारजी को देना होगा. आज बिहार में कोई सुरक्षित नहीं है. सब असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. और आज की बात है कि मुख्यमंत्री के गृह जिला में गोली चली है. उस पर एक शब्द मुख्यमंत्रीजी ने नहीं बोला.जिस बच्ची की निर्मम हत्या की गयी उस पर उन्होंने एक शब्द नहीं बोला. हद तो ये है कि जिन पुलिस वालों को जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गयी है, वे भी सुरक्षित नहीं हैं. ये मुख्यमंत्री के विकास का मॉडल है.
उन्होंने कहा कि हम ये चाहते थे कि इस मुद्दे पर सदन में चर्चा हो. वे चर्चा नहीं कर रहे हैं. पुलिस के जवानों की शहादत पर भी वे चर्चा नहीं कर रहे हैं.वे इस पर इसलिए बहस नहीं करना चाहते कि उनके पास कोई जवाब नहीं है.ऐसे सवाल अगर आप इनके नेताओं से करेंगे तो ये सब बस लालूजी की बात करेंगे.
ये सरकार पूरी तरह फेल हो चुकी है. मुख्यमंत्री अपराधियों के सामने नतमस्तक हो चुके हैं. अगर आज किसी और की सरकार होती तो हाय तौबा मच गया होता. ब्रेकिंग न्यूज पर ब्रेकिंग न्यूज महीनों तक चलता रहता.