प्रगति यात्रा में एक भी जनसभा को संबोधित नहीं करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज रविदास जयंती के अवसर पर भाषण देते हुए दिखे, हालांकि उनके भाषण में बिहारवासियों के लिए कुछ भी नया नहीं था। कहा कि पहले कोई करता था, हम ही आए, तो सब हुआ। फिर कहा कि पहले शाम होने के बाद कोई घर से निकलता था जी। अब तो देखिए रात दस बजे तक लड़का-लड़की घूमता है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बापू सभागार में विकास मित्रों की सभा को संबोधित कर रहे थे। पहले उम्मीद की जा रही थी कि राज्य भर से आए दलित समाज के लोगों के बीच वे कोई नई घोषणा करेंगे, क्योंकि इसी साल बिहार में चुनाव होना है। लेकिन मुख्यमंत्री से उम्मीद लेकर आए दलितों को निराश होना पड़ा।
मुख्यमंत्री के भाषण में अब दुहराव हो रहा है। उनके पास बिहार को देने के लिए अब कोई नई योजना नहीं रह गई है। तेजस्वी यादव की बात एक बार फिर से लोगों को याद आई कि मुख्यमंत्री थक गए हैं। उनके पास प्रदेश को आगे ले जाने के लिए कोई विजन नहीं है।
राजनीतिक प्रेक्षकों को उम्मीद थी कि बाहिर में जाति गणना की चर्चा होगी तथा जाति गणना के साथ ही हुए आर्थिक सर्वे के आधार पर मुख्यमंत्री दलित तथा कमजोर वर्ग के लिए किसी नई योजना की घोषणा करेंगे, लेकिन उन्होंने जाति गणना की चर्चा ही नहीं की। याद रहे तेजस्वी यादव लगातार जाति गणना के बाद आरक्षण की सीमा को बढ़ाए जाने के बिल को संविधान की नौंवी अनुसूची में डालने की मांग करते रहे हैं। मुख्यमंत्री लगता है अपनी ही सरकार के 65 प्रतिशत आरक्षण देने के वादे को भूल गए हैं। जाहिर है विधानसभा चुनाव में आरक्षण बड़ा मुद्दा बन सकता है और तब एनडीए को परेशानी हो सकती है।