नीतीश-तेजस्वी जाएंगे कर्नाटक, बनेगी पटना महारैली की रणनीति
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव बेंगलुरु जाएंगे। वहीं बनेगी पटना महारैली की रणनीति।
कर्नाटक में कांग्रेस की नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह दो दिन बाद 20 मई को तय हो गया है। समारोह में देशभर के विपक्षी दलों के नेता जुटेंगे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी 20 की सुबह बेंगलुरु जाएंगे। नीतीश और तेजस्वी की जोड़ी पिछले कई महीने से विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास करते रहे हैं। हाल के दिनों में उनका प्रयास तेज हुआ है। 2024 लोकसभा चुनाव की दृष्टि से बिहार के महत्व को देखते हुए ममता बनर्जी ने सुझाव दिया था कि पटना में एक महारैली हो। इससे पहले पटना में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक बुलाने की योजना पर भी अन्य दलों से राय ली जा रही है। अब उम्मीद है कि कर्नाटक में सभी विपक्षी नेता एक साथ होंगे, तब बिहार में होनेवाली विपक्षी महारैली या बैठक पर भी चर्चा होगी।
बिहार भाजपा के कई नेता कर्नाटक मं कांग्रेस की जीत से इस बात के लिए खुश थे कि नीतीश कुमार का महत्व कम हो जाएगा, लेकिन परिणाम उल्टा दिख रहा है। खबर है कि कांग्रेस ने नीतीश कुमार और तोजस्वी यादव दोनों को बेंगलुरु आने का न्योता भेज दिया है।
पटना में विपक्षी दलों की बैठक या विपक्ष की साझा महारैली की चर्चा चल रही है। इसमें यह भी तय माना जा रहा है कि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस की तरफ से शामिल होंगे। बिहार में एकजुटता दिखा कर उत्तर भारत खासकर हिंदी पट्टी और यूपी पर भी प्रभाव डालना मकसद है। इस कार्य के लिए नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की जोड़ी सक्रिय है। गोदी मीडिया को छोड़ दें, तो नेशनल लेवल पर इस जोड़ी के महत्व को राजनीतिक विशेषज्ञ स्वीकार करने लगे हैं।
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद विपक्षी दलों में सक्रियता बढ़ी है। हालांकि उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए कितना तैयार होंगे, इस पर संशय बना हुआ है। वे अमेठी और रायबरेली से भी उम्मीदवार देने की घोषणा कर चुके हैं। कई राष्ट्रीय मुद्दों पर भाजपा के खिलाफ उनकी चुप्पी भी संशय को बढ़ाती रही है।
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