इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम

नीतीश कुमार अपना तीर, अपना नश्तर कब, किसके खिलाफ छोड़ दें कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता. न पक्ष, न विपक्ष. यही कारण है कि नीतीश के रणनीतिक गांठ को खोलना बड़े बड़ों के लिए मुश्किल होता है.

उर्दू पर आदित्यनाथ ने जो नफरती बोल बोले. जो उनकी इस पर छीछाले दर हुई. वह अपनी जगह है. इधर नीतीश ने योगी के इस नफरती बोल पर जो करारा हमला बोला है उससे न सिर्फ योगी बल्कि पूरी भाजपा बगलें झांक रहे हैं.

नीतीश ने बयानों के बजाये एक्शन मेंं एक ऐसा फैसला लिया है जो उर्दू नफरती भाजपाइयों के लिए काटो तो खून नहीं, जैसा बन गया है.

राज्य के कैबिनेट सचिवालय ने एक बड़ा फैसला लेते हुए गैरउर्दां दां लोगों के लिए दो घंटे का उर्दू कोर्स का ऐलान कर दिया है. साथ में मैं यह जोड़ूू दूं कि कुछ वर्ष पहले बिहार सरकार ने ऐलान किया था कि उर्दू न जानने वाले अधिकारी या कर्मी उर्दू कोर्स कर लें तो उनके वेतन में वृद्धि की जायेगी.

बहर हाल, कैबिनेट सचिवालय के इस फैसले को उर्दू निदेशालय लागू करने जा रहा है. इसके लिए सात अप्रैल तक तक अप्लाई किया जा सकता है.

आज हक की बात में मेरे साथ यूट्यूब पर देखिए कि कैसे नीतीश ने उर्दू पर योगी की नफरती हेकड़ी बंद कर के एक नयी सियासी बिसात बिछा दी है.

राज्यपाल के भोज में सब पहुंचे, क्यों नहीं गए नीतीश?

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