इस बार छठ में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक कार्य चौंकानेवाला है। संध्या अर्घ के समय हर वर्ष की भांति इस साल भी भी वे स्टीमर से व्रतियों का अभिनंदन करने निकले। उनके साथ हमेशा साए की तरह साथ रहने वाले मंत्री विजय चौधरी नहीं दिखे। अशोक चौधरी भी नहीं दिखे। केंद्रीय मंत्री ललन सिंह भी साथ नहीं थे और न ही कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा थे। इनमें से कोई नेता नहीं थे। उनके साथ थे भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, भाजपा नेता और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, एक और उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा। ये सभी भाजपा के बड़े नेता थे। जरूर साथ मं जदयू के मंत्री बिजेंद्र यादव थे। फिर भी चार-चार बड़े भाजपा नेता साथ थे।
भाजपा के चार-चार बड़े नेता साथ थे और मुख्यमंत्री के करीबी नेताओं में किसी का साथ नहीं रहना कुछ तो इशारा करता ही है। जो लोग मान रहे थे कि नीतीश कुमार भाजपा से नाराज हैं या असहज हैं, वे गलत साबित हुए। तथ्य तो यही बताते हैं कि नीतीश कुमार पूरी तरह भाजपा नेताओं के बीच घिरे हुए हैं।
हालांकि यह आश्चर्यजनक है कि जब प्रशांत किशोर विधानसभा चुनाव में दमखम के साथ उतरने की घोषणा कर चुके हैं और आरसीपी सिंह 140 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर चुके हैं और सभी जानते हैं कि दोनों के पीछे किसका गेम प्लान है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दसरे दिन उदीयमान सूर्य को अपने परिवारजनों के बीच अर्घ दिया।
उधर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने परिवारजनों के बीच छठ पर्व मनाया। जो तस्वीरें उनके कार्यालय से जारी की गई हैं, उनमें लालू प्रसाद तथा राबड़ी देवी दिख रहे हैं। वैसे बिहार में लोक आस्था का महापर्व छठ शांतिपूर्व संपन्न हो गया। राज्यभर में नदियों-तालाबों के किनारे लोगों ने अर्घ दिए।
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