NO CAA के गमछा में तेजस्वी का रोड शो, जीता असमियों का दिल
CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून को अपनी उपलब्धि बताने वाली भाजपा को तेजस्वी यादव ने असम में NO CAA का गमछा के साथ रोड शो करके असम के साथ बिहारी वोटर्स का भी दिल जीत लिया है.
तेजस्वी यादव असम के तीनसूकिया में अपनी प्रत्याशी हीरा देवी के चुनाव प्रचार के लिए गये थे. वहां उन्होंने रोड शो किया जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकरत की. चुनावी समय में CAA के खिलाफ प्रोटेस्ट का साहस गैर भाजपा दल ही उठा रहे हैं.
गौरतलब है कि पिछले वर्ष देश भर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सैकड़ों जगह पर प्रोटेस्ट हुए थे. लेकिन कम लोगों को याद है कि असम ही वह राज्य है जहां नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे. प्रोटेस्ट के दौरान पुलिस अत्याचार भी सबसे पहले असम में ही देखने को मिला.
तेजस्वी ने असम के मतदाताओं के मिजाज को बखूबी समझा और उन्होंने अपने चुनावी कार्यक्रम में NO CAA लिखा गमछा पहना. वैसे सीएए पर राष्ट्रीय जनता दल की नीति पहले से ही स्पष्ट है. तेजस्वी के नेतृत्व में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बिहार में व्यापक आंदोलन चलाया गया. ऐसे में तेजस्वी ने भले ही असम में अपनी उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार के दौरान नो सीएए लिखा गमछा पहना लेकिन गमछा प्रोटेस्ट के इस प्रतीक का उन्हें बिहार में भी लाभ होगा.
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यही कारण है कि राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री तन्वीर हसन ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हए कहा कि चुनावी प्रचार में श्री @yadavtejashwi जी के कंधे पर लहराया #NoCAA का गमछा। इसीलिए हमने इनके कांधे को मजबूत करने का मजबूत इरादा किया हुआ है। ताकि वे हमारी लड़ाई लड़ेंगे.
आपको याद दिलायें कि पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने असम में नागरिकता रजिस्टर बनाने की घोषणा की थी. इसके चलते असम के चालीस लाख से ज्यादा लोगों की नागिरकता पर खतरा मंडराने लगा था. इसके कारण केंद्र के खिलाफ लोगों में जनआक्रोश फैल गया था. भाले ही भाजपा समर्थित मीडिया नागिरकता रिजस्टर को मुसलमानों के खिलाफ बता कर लोगों को गुमराह करता रहा लेकिन इसका असर असम में साफ तौर पर हिंदुओं पर भी पड़ता दिखा था. उधर भाजपा असम में सीएए पर डरी हुई है. वह इसका नाम तक नहीं ले रही. ऐसे में तेजस्वी यादव ने नो सीएए प्रोटेस्ट का समर्थन करके जहां असम के नागरिकों का दिल जीतने की कोशिश की है वहीं उन्होंने बिहार के लोगों की सहानुभूति भी बटोरी है.