हिंसा की किसी भी धर्म व लोकतंत्र में जगह नहीं
मतभिननता को लोकतंत्र की खूबसूरती मानी जाती है.लेकिन मतभिन्नता प्रदर्शित करने के लिए हिंसा का सहारा लेने की सोच की लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है.
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ देश भर में बड़े पैमाने पर किये जा रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान कई लोगों की जानें गयीं. इसके अलावा इस दौरान राष्ट्रीय व निजी सम्पत्ति का नुकसान हुआ. ये घटनायें दर्शाती हैं कि आंदोलन में शामिल कुछ लोग कितने असंवेदनशील हैं. इससे यह भी पता चलता है कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के बारे में उन्हें कितनी कम जानकारी है. कुछ लोग इसमें अपने निहित स्वार्थ को साधने में लगे हैं.
मानवता के सम्मान पर क्या है इस्लामी नजरिया
इंसान हिंसा पर तब ही आमादा होता है जब वह अच्छी चीजों पर अपना विवेक केंद्रित करने में असफल हो जाता है. इस संबंध में न सिर्फ पुराण, बल्कि कुरआन ने भी स्प्ष्ट रूप से कहा है कि बिला वजह किसी के लिए मुश्किलें या बाधायें खड़ी करना एक तरह की हिंसा है. और अगर कोई ऐसा करता है तो आखिरत में वह अल्लाह के सामने अपने किये का जवाबदेह होगा.
क्या कहते हैं कुरआन व पुराण
इंसान हिंसा पर तब ही आमादा होता है जब वह अच्छी चीजों पर अपना विवेक केंद्रित करने में असफल हो जाता है. इस संबंध में न सिर्फ पुराण, बल्कि कुरआन ने भी स्प्ष्ट रूप से कहा है कि बिला वजह किसी के लिए मुश्किलें या बाधायें खड़ी करना एक तरह की हिंसा है. और अगर कोई ऐसा करता है तो आखिरत में वह अल्लाह के सामने अपने किये का जवाबदेह होगा.
विश्व शांति की स्थापना में सूफीवाद की जरुरत
इस लिए एक सच्चा मुस्लिम वह है जो किसी भी तरह के नुकसान करने के प्रति सतर्क रहे. और दूसरे की संवेदना को नुकसान न पहुंचाये. लिहाजा किसी को भी अपनी क्रिया या अपने वचनों से कोई तकलीफ न पहुंचाये. यह इमामों, मौलवियों और मुस्लिम विद्वानों के लिए उचित समय है कि उन्हें सामने आ कर मुस्लिम समाज और खास कर युवाओं को नागरिकता संशोधन कानून CAA के प्रति तथ्यों को बतायें.ताकि वे इस नये कानून के प्रति भ्रम से निकल सकें.