संघ और भाजपा हाल तक पसमांदा मुसलमानों को साथ लाने का प्रयास कर रहे थे। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने पसमांदा मुसलमानों के खिलाफ हमला बोल दिया। वे हर सभा में कह रहे हैं कि चुनाव जीते तो OBC के तहत अतिपिछड़े मुसलमानों को मिलनेवाला आरक्षण समाप्त कर देंगे। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की लगातार घोषणा से पसमांदा मुसलमानों में चिंता व्याप्त हो गई है।

पिछले दिनों कलकत्ता हाइकोर्ट ने प. बंगाल की ममता सरकार द्वारा पिछड़े मुसलमानों की 77 श्रेणियों को एक साथ रद्द करने के बाद राजनीति गरमा गई है। जहां ममता बनर्जी ने कहा कि वे हाईकोर्ट के फैसले को स्वीकार नहीं करती हैं। वे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगी, वहीं प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री शाह तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने घोषणा कर दी है कि उनकी सरकार बनी तो ओबीसी के तहत पिछड़े मुसलमानों को मिलने वाले आरक्षण को खत्म कर दिया जाएगा।

मालूम हो कि देश में आरक्षण की व्यवस्था सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर की गई है। सामाजिक रूप से पिछड़े समुदाय, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, उन्हें आरक्षण मिलता है। अब मोदी और शाह की घोषणा से पसमांदा तबके में चिंता हो गई है। ऐसे पसमांदा छात्र जो सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे थे, उनके भलिष्य के सामने अंधेरा छा गया है।

प. बंगाल में ओबीसी के तहत पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण देने की शुरुआत वामपंथी सरकार ने की थी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 2010 के बाद से इस दायरे में लाए गए 77 श्रेणियों के तमाम सर्टिफिकेट रद्द कर दिए हैं। इससे पांच लाख लाख ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द हो गए हैं।

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मोदी के आरक्षण पर दिए बयान से गरमाई राजनीति

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उप्र के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा है कि मुस्लिम आरक्षण की समीक्षा होगी। बिहार में भी पिछड़े मुसलमानों को ओबीसी कैटगरी के तहत आरक्षण का लाभ मिलता है। बिहार के पसमांदा मुसलमानों में भी चिंता व्याप्त हो गई है। हालांकि अभी तक जदयू ने इस मामले में अब तक चुप्पी साध रखी है।

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By Editor


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