ऑपरेशन ठाकरे चलानेवाली BJP ऑपरेशन नीतीश पर फेल क्यों
कर्नाटक, मध्यप्रदेश में दल बदल करा कर अपनी सरकार बना लेनी वाली भजपा अब ऑपरेशन ठाकरे चला रही है। भाजपा के सारे चाणक्य बिहार में फेल क्यों?
आज सुबह से महाराष्ट्र चर्चा में है। वहां के शिवसैनिक विधायकों को भाजपा अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है। आखिर वही भाजपा ऑपरेशन नीतीश में क्यों फेल हो गई?मार्च में भाजपा को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुर्सी छोड़ देंगे और केंद्र की राजनीति में चले जाएंगे। फिर यहां भाजपा का मुख्यमंत्री होगा। यहां तक कि भाजपा के आम कार्यकर्ता भी नित्यानंद राय की मुख्यमंत्री के बतौर ताजपोशी की आस लगाए बैठे थे। वह सपना भाजपा का पूरा नहीं हुआ।
भाजपा के सपनों को एक बार फिर पंख लगे, जब आरसीपी को राज्यसभा के लिए टिकट से वंचित किया गया। कहा जाने लगा कि आरसीपी सिंह के साथ 20 से ज्यादा विधायक हैं और भाजपा की सरकार बनेगी। वह भी फेल हो गया। हालत यह है कि आरसीपी के साथ कोई विधायक की बात छोड़ दीजिए, कोई प्रभावशाली नेता तक नहीं गए।
भाजपा के अनेक प्रयासों का परिणाम सिर्फ इतना निकला कि आरसीपी सिंह आज भाजपा के करीब हैं। आज योग दिवस पर जदयू के एकमात्र वही नेता रहे, जिनकी तस्वीर योग करते देखी गई। उनके अलावा किसी जदयू नेता ने योग करते कोई तस्वीर शेयर नहीं की है। बस योग दिवस की बधाई देकर बात समाप्त कर दी गई है।
बिहार आ कर भाजपा के चाणक्यों के फेल होने की पहली वजह तो यहां की खास राजनीतिक परिस्थिति है और दूसरी वजह नीतीश कुमार का कौशल है। नीतीश कुमार जानते हैं कि भाजपा से लड़ाई कितनी आगे तक बढ़ानी है। कब भाजपा का विरोध करना है और कब समर्थन। नीतीश के इस खेल में भाजपा उलझ जाती है।
बिहार की खास राजनीतिक स्थिति यह है कि अगर भाजपा केंद्र सरकार की मदद से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से बेदखल करती है, तो उसे 2024 में लोकसभा चुनाव में भारी नुकसान होगा, जो उसके लिए जीवन का प्रश्न है। इसीलिए भाजपा बार-बार प्रेशर तो बनाती है, लेकिन एक सीमा तक ही। अभी अग्निवीर योजना के खिलाफ बिहार में आंदोलन हुए। भाजपा नेताओं के घरों पर हमले हुए, लेकिन एक दिन विरोध जता कर भाजपा नेता चुप हो गए। ऑपरेशन ठाकरे कल भले ही सफल हो जाए, लेकिन भाजपा का ऑपरेशन नीतीश फिलहाल कामयाब नहीं होगा।
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