भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का बिहार में पहला पदार्पण ‘रिश्वत’ देने के लिए हुआ था। 30-35 साल पहले अमित शाह पाईप का कारोबार करते थे। उसी दौरान पीएचइडी विभाग को उन्होंने पाईप की सप्लाई की थी, लेकिन पैसा फंस गया। पैसे की वूसली के लिए उन्होंने ‘कांग्रेसी शैली’ अपनायी और पैसा निकलवाने में सफल हुए। इसका खुलासा आज उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने किया।
वीरेंद्र यादव
पटना के ज्ञान भवन में अमित शाह के जीवन पर प्रकाशित पुस्तक ‘अमित शाह और भाजपा की यात्रा’ पर परिचर्चा आयोजित की गयी थी। इसमें प्रदेश अध्यक्ष और सांसद संजय जायसवाल भी मौजूद थे। पुस्तक के दोनों लेखकों ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुशील मोदी ही थे। उन्होंने अमित शाह की विकास यात्रा आंकड़ों में प्रस्तुत किया। भाजपा की 40 वर्षों की यात्रा को अमित शाह के पैरों से नाप दिया गया। अपने संबोधन के अंतिम दौर में सुशील मोदी ने कहा कि एक बार अमित शाह ने बातचीत में बताया था कि पार्टी अध्यक्ष बनने के पहले भी बिहार की यात्रा पर आये थे और उस यात्रा में काम कराने के एवज में ‘कांग्रेसी शैली’ अपनायी थी।
इस परिचर्चा में बिहार भाजपा के सभी प्रमुख नेता मौजूद थे। संगठन महामंत्री नागेंद्र नाथ, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा, देवेश कुमार, राज्य सरकार में शामिल भाजपा के मंत्री और पार्टी पदाधिकारी समेत बड़ी संख्या में भीड़ मौजूद थी। नाश्ते का ‘उत्तम’ प्रबंध था। हाजीपुर की चुकिया वाली मिठाई भी। उसे क्रीम भी कह सकते हैं। भीड़ से ज्यादा नाश्ते का प्रबंध था। सभागार के बाहर पुस्तक बिक्री के लिए उपलब्ध थी। पुस्तक काफी बिक हो रही थी। पुस्तक के बारे में बताया गया कि पुस्तक की बिक्री देश भर में हो रही है। पटना में यह पुस्तक हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध है। इस पुस्तक का प्रकाशक कौन है और इसकी कीमत कितनी है, यह जानने के लिए आपको पुस्तक खरीदनी पड़ेगी। हमने तो सिर्फ कवर देखा है।