पहली बार पुलिस मुख्यालय राजनीति कर रहा : राजद

हमारी संवैधानिक व्यवस्था में पुलिस को राजनीति से अलग रखा गया है। जो जवाब मुख्यमंत्री को देना चाहिए, वह पुलिस मुख्यालय दे रहा। राजद ने उठाया सवाल।

फाइल फोटो

कल राजद के चार प्रवक्ताओं ने नीतीश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। आंकड़ों से बताया था कि लालू-राबड़ी राज की तुलना में आज जदयू-भाजपा की नीतीश सरकार में अपराध बढ़े हैं। राजद के आरोप का जवाब राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को देना चाहिए था, क्योंकि गृह विभाग उन्हीं के पास है। उनके बदले राज्य के पुलिस मुख्यालय ने सफाई दी और बताया कि 2005 की तुलना में 2019 में अपराध कम हुए हैं। यानी लालू राज की तुलना में नीतीश सरकार बेहतर है।

यहां यह सवाल है कि पुलिस मुख्यालय ने 2005 से तुलना क्यों की? उसका काम है सालाना रिपोर्ट देना। वह 14 वर्षों का तुलनात्मक आंकड़ा क्यों दे रहा है। वह लालू राज से तुलना क्यों कर रहा है और क्या यह पुलिस मुख्यालय का राजनीतीकरण नहीं है? राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने इसे संवैधानिक संस्थाओं का राजनीतिक इस्तेमाल करार दिया और कहा यह राज्यहित के खिलाफ है।

राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने प्रेस बयान जारी करके कहा कि राज्य के कानून व्यव्स्था पर पुलिस मुख्यालय की सफाई राजनीतिक बयानबाजी है। तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने से हकीकत नहीं बदल जाती।

राजद प्रवक्ता ने कहा कि पुलिस मुख्यालय का यह तर्क कितना हास्यास्पद है कि गाड़ियों के अप्रत्याशित रजिस्ट्रेशन की वजह से चोरी की घटनाएं बढ गई है। एनडीए ने फिरौती के लिए अपहरण को राजद के खिलाफ मुद्दा बनाया था आज पुलिस मुख्यालय खुद स्वीकार रही है कि पिछले छः महीने के अन्दर फिरौती की 23 घटनाएं दर्ज हुई है।

एनडीए शासनकाल में अबतक 1051 अपहरण की घटनाएं दर्ज हो चुकी है। जबकि एक रणनीति के तहत एनडीए शासनकाल में फिरौती के लिए होने वाले कई अपहरणों को भी सामान्य अपहरण के रूप में हीं दर्ज किया गया है ।2005 में सामान्य अपहरण की 2226 घटनाएं दर्ज हुई थी वहीं 2017 में 8972 , 2018 में 10310 और 2019 में 10925 और 2021 के मात्र चार महिने जनवरी-अप्रैल में हीं 3565 घटनाएं दर्ज हैं।

2005 मे रेप की 973 घटनाएं दर्ज है वहीं 2018 में 1475 , 2019 में 1450 और 2020 में 1438 रेप और गैंगरेप की घटनाएं दर्ज हुई है। 2005 में संज्ञेय अपराध की कुल 104778 घटनाएं दर्ज हैं वहीं 2018 में 262802 , 2019 में 269096 और 2020 में 257506 घटनाएं दर्ज हुई है। पुलिस मुख्यालय को अपने सफाई में कनविक्सन रेट की भी चर्चा करनी चाहिए थी जिसमे बिहार सबसे नीचले पायदान पर है।

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राजद प्रवक्ता ने कहा कि एनसीआरबी द्वारा राज्यों के लिए जारी क्राइम स्टेटस मे 2005 में बिहार को 26 वें स्थान पर बताया गया है इसके बावजूद पुलिस मुख्यालय का यह दावा कि 2005 की तुलना में बिहार की विधि-व्यवस्था आज बेहतर है , एक भद्दा मजाक हीं है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि यह पुलिस मुख्यालय द्वारा दिया गया राजनीतिक बयान है।

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राजद प्रवक्ता ने कहा कि पुलिस मुख्यालय को अपनी सफाई देने के पहले केन्दीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा पिछले दिन संसद मे दिये गए उस बयान को भी देख लेना चाहिए था जिसमें माननीय राज्य मंत्री ने कहा है कि राजनीतिक हत्यायों के मामले मे बिहार तीसरे स्थान पर है।

By Editor


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