बिहार में बीपीएससी पेपरलीक का मामला मंगलवार को और भी गरमा गया। कांग्रेस तथा वाम दलों  विधायकों-सांसदों ने पटना में राजभवन मार्च निकाला, जेन्हें पुलिस ने शहीद स्मारक के पास रोक दिया। विधायक वहीं धरने पर बैठ गए। यहां विधायकों की पुलिस के साथ तीखी नोकझोंक हुईं। इधर नीतीश सरकार इस मामले में बुरी तरह फंस गई है। आज सरकार बैकफुट पर दिखी। उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने मीडिया से कहा कि बीपीएससी स्वायत्त संस्था है, वह निर्णय लेगी। एक तरह से पूरे मामले में सरकार पल्ला झाड़ती दिखी, लेकिन मामला शांत होता नजर नहीं आ रहा।

बीपीएससी छात्रों पर लाठी चार्ज के बाद अब पेपरलीक का मुद्दा राजनीतिक बन गया है। कांग्रेस तथा वाम दलों के सांसद और विधायक आज सड़कों पर उतरे और छात्रों की मांग मानने पर जोर दिया। उन्हें पुलिस ने शहीद स्मारक के पास रोक दिया। आरा के सांसद सुदामा प्रसाद ने आरोप लगया कि पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अथवा गृह मंत्री अमित शाह से बिना मिले पटना लौट आए। आज सुबह भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी उनसे मिलने गए। बाहर आकर उन्होंने मीडिये से कहा कि बीपीएससी स्वतंत्र संगठन है। वह जो भी निर्णय ले।

इधर मंत्री विजय चौधरी ने एकबार फिर पेपरलीक से इनकार किया और कहा कि अभी तक किसी ने पेपरलीक के प्रमाण नहीं दिए हैं। वहीं अभ्यर्थी रि-एक्जाम से कम पर कोई समझौता स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। छात्रों पर लाठीचार्ज के दोषी अधिकारियों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस मामले में चिराग पासवान ने भी दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की थी।

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बिहार सरकार पूरी तरह बैकफुट पर दिख रही है। माना जा रहा है कि बीपीएससी रिएक्जाम के लिए तैयार हो गया है, लेकिन सरकार की छवि बचाने के लिए सारा प्रयास किया जा रहा है।

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