नीतीश के NDA में जाते ही घमासान, पारस ने दी सूरजभान को कमान
नीतीश के NDA में जाते ही घमासान, पारस ने दी सूरजभान को कमान। रालोजपा अध्यक्ष ने संसदीय बोर्ड का किया गठन।सीटों के बंटवारे पर भीतर छिड़ी जंग।
लोकसभा चुनाव में मुश्किल से दो महीने का वक्त है, लेकिन एनडीए में सीटों के बंटवारे पर जबरदस्त खींचतान चल रही है। अब तक राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ऊपर-ऊपर शांत थे, लेकिन अब उन्होंने भी जबरदस्त दावेदारी पेश कर दी है। आज उन्होंने दल के संसदीय बोर्ड का पुनर्गठन किया। इसका अध्यक्ष दबंग नेता सूरजभान सिंह को बनाया है। सूरजभान सिंह को अध्यक्ष बनाने का मतलब स्पष्ट है कि वे किसी से दबने वाले नहीं हैं। वे भी अपना हिस्सा लेंगे।
रालोजपा अध्यक्ष पारस ने आज संसदीय बोर्ड का गठन किया, जिसमें 21 सदस्य बनाए गए हैं। अध्यक्ष सूरजभान सिंह के अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस, सांसद महबूब अली कैसर, प्रदेश अध्यक्ष सांसद प्रिंस राज, सांसद चंदन सिंह, पूर्व विधायक अनिल चौधरी भी सदस्य बनाए गए हैं। इनके अलावा विधान पार्षद भूषण कुमार, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विरेश्वर सिंह, एससी/एसटी प्रकोष्ठ राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्ण राज, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष विनोद नागर, राष्ट्रीय महासचिव रामजी सिंह, राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल, राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सर्राफ, राष्ट्रीय महासचिव एल्विस जोसेफ, राष्ट्रीय अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ नूतन सिंह, राष्ट्रीय महासचिव जीवी मणिमारन, राष्ट्रीय महासचिव डॉ. उषा शर्मा, राष्ट्रीय संगठन महासचिव सुधांशु द्विवेदी, राष्ट्रीय सचिव रूचिदा शर्मा, राष्ट्रीय सचिव इन्दु भूषण सिंह उर्फ टुनटुन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष झारखंड राज कुमार राज एवं विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में जिया लाल के नाम शामिल हैं।
सूरजभान सिंह को आगे करके पारस ने अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर दी है। अगर इन नेताओं की अनदेखी हुई, तो ये ऐसे नेता हैं, जो खुद अकेले नहीं जीत सकते, लेकिन एनडीए प्रत्याशी को हरा जरूर सकते हैं। एनडीए में लोकसभा सीटों के लिए अभी से घमासन छिड़ गया है। पिछली बार 17-17 सीटों पर भाजपा और जदयू लड़े थे। छह सीटों पर लोजपा। इस बार भाजपा खुद ज्यादा सीटों पर लड़ना चाहती है। उसका मानना है कि जबसे ज्यादा वोट उसके पास है, इसलिए उसे ज्यादा प्रत्याशी देना चाहिए। वहीं नीतीश भी 17 से कम पर राजी नहीं दिख रहे। 16 तो उनके जीते सांसद हैं। जिसका टिकट कटेगा, वह बागी हो जाएगा। लोजपा अब दो गुट में है। पहले वाले पांच सांसद पारस के साथ हैं। उन्हें भी टिकट चाहिए। इधर चिराग पासवान को भी चार-पांच सीटें चाहिए। फिर एनडीए के नए पार्टनर उपेंद्र कुशवाहा को भी तीन सीट चाहिए। जीतनराम मांझी एक पर मानने को तैयार नहीं है। बिहार में 40 सीटें ही हैं। तो क्या जदयू की सीटें कम होंगी। कम होंगी तो नीतीश कुमार नाराज होंगे। कुल मिलाकर एनडीए में लोकसभा सीटों के लिए घमासान छिड़ गया है।
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