केंद्रीय खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने फिर कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में पाइप के माध्यम से आपूर्ति किये जाने वाले नल के पानी की गुणवत्ता मानकों के अनुरुप नहीं है और दो बार की जांच में इसे घटिया स्तर का पाया गया है।
श्री पासवान ने नई दिल्ली में भारतीय मानक ब्यूरो की ओर से आयोजित विश्व मानक दिवस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि दिल्ली के यमुना पार के इलाकों के पानी की गुणवत्ता बहुत खराब है । शुद्ध पेय जल पाने का अधिकार सभी को है और गरीबों को खराब पेय जल के भरोसे नहीं छोड़ा जा सका है ।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के 11 पेय जल के नमूने दो बार की जांच में घटिया गुणवत्ता के पाये गये हैं और तीसरी बार उन्हें मुंबई में जांच के लिए भेजा गया है । जांच की इस रिपोर्ट को अगले महीने सार्वजनिक किया जायेगा । देश के 100 स्मार्ट शहरों और राज्यों की राजधानियों में तीन माह के अंदर पाइप से आपूर्ति की जाने वाली पानी के नमूनों की जांच करा ली जायेगी और छह माह के अंदर जिला मुख्यालयों में यह प्रक्रिया पूरी की जायेगी । इसके बाद रैकिंग जारी किया जायेगा ।
श्री पासवान ने कहा कि पानी की गुणवत्ता को लेकर लोगों में जागरुकता पैदा की जायेगी । राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पानी की गुणवत्ता को लेकर पत्र भेजा गया है और उनसे लोगों को शुद्ध पेय जल उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है । उन्होंने जोर देकर कहा कि एक राष्ट्र एक मानक की व्यवस्था को लागू किया जाना चाहिए । कुछ विभाग अपने स्तर पर उत्पादों का मानक जारी करते हैं जिसमें समन्वय की जरुरत है ।
उन्होंने कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो कानून में 30 साल बाद बड़ा बदलाव किया गया है और इसके लिए नियम भी बनाये गये हैं ।
उपभोक्ता मामलों के सचिव अविनाश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले डेढ माह के दौरान मानकों को लेकर एक अभियान चलाया गया है और मंत्री के स्तर पर इसकी समीक्षा की गयी है । प्रयोगशालाओं की कार्य प्रणाली की भी समीक्षा की गयी है और एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक का विकल्प भी खोजा जा रहा है । उन्होंने कहा कि दो माह के बाद सोने के आभूषणों पर हालमार्क अनिवार्य हो जायेगा ।