बिहार में एनडीए के दो दलित नेता आपस में भिड़ गए हैं। एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में आज भारत बंद का आयोजन किया गया था। केंद्रीय मंत्री और लोजपा प्रमुख चिराग पासवान के समर्थक बंद के समर्थन में सड़क पर उतरे, तो केंद्रीय मंत्री और हम प्रमुख जीतनराम मांझी के समर्थक बंद के विरोध में नारे लगाते दिखे। खुद मांझी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए फैसले का विरोध करने वालों पर तीखा हमला किया। कहा कि दलित आरक्षण की पूरी मलाई सिर्फ पांच प्रतिशत लोग खा रहे हैं। हम ऐसा नहीं होने देंगे।
चिराग पासवान और जीतनराम मांझी दोनों एनडीए में हैं और खुद को प्रधानमंत्री मोदी का घोर समर्थक बताते हैं। खुद को प्रधानमंत्री का हनुमान तक कह चुके हैं। दोनों नेताओं के आपस में भिड़ जाने से स्पष्ट है कि दलित एकता टूट गई। गौर करने वाली बात ये है कि भले ही दलित एकता टूट गई, पर प्रधानमंत्री मोदी तथा भाजपा को कोई नुकसान नहीं है, बल्कि फायदा ही है। भाजपा के दोनों हाथ में लड्डू है।
इधर भारत बंद के समर्थन में विभिन्न जिलों में दलित संगठनों के कार्यकर्ता सड़क पर उतरे। पटना में बंद समर्थकों के उग्र होने पर पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करके खदेड़ दिया। राज्य के अन्य जिलों से कोई अप्रिय घटना की जानकारी नहीं है।
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आरक्षण बचाओ समिति का भारत बंद, राजद का समर्थन
बिहार के अलावा बंद का असर उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिला। पूर्वी और पश्चिमी यूपी में विभिन्न दलित संगठनों के कार्यकर्ता सड़क पर उतरे। बंद के समर्थन में बसपा के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में सड़क पर दिखे। बिहार में कई राजनीतिक दलों ने बंद को नैतिक समर्थन दिया था। राजद ने समर्थन की घोषणा की थी। हालांकि जदयू ने कोई समर्थन का एलान नहीं किया था। मालूम हो कि जदयू पहले ही कह चुका है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के समर्थन में है।
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