जदयू प्रवक्ता नवल शर्मा ने एक दिन घोषणा कर दी कि रामदेव के पतंजलि उत्पाद ही उनके घर आयेंगे. छह महीने में उन्होंने ऐसा क्या अनुभव किया कि अब वह बाबा की कम्पनी को ‘राष्ट्रवादी धोखा’ घोषित कर उस पर मुकदमा करना चाहते हैं.
एक सामान्य उपभोक्ता के नाते मैं पिछले कई दिनों से अपने राष्ट्रीय बाबा की मिलावटखोरी से त्रस्त था । लेकिन अब लगा , पानी कहीं नाक से ऊपर न निकल जाए ।
भारतीय वोटर और भारतीय कंज्यूमर दोनों की अजीब लीला है । कब किसे सिंहासन सौंप दे और किसकी दुकान चला दे कहना मुश्किल । अब इन बाबाजी को लीजिये । इनकी अच्छाइयां अपनी जगह हो सकती हैं पर स्वदेशी और राष्ट्रीयता की चाशनी में परोसे उनके उत्पादों के मकड़जाल में जिस तरह एक आम भारतीय उपभोक्ता पीस रहा है उसका एक भुक्तभोगी मैं भी हूँ ।
हेल्थ कॉंसस होने के चलते एक दिन मैंने घर में घोषणा कर दी क़ी आज से मासिक उपयोग की अधिकांश चीजें बाबा के स्टोर से ही खरीदी जाएंगी । पर यह जोश भी जल्द ही ठंडा पड़ गया , गृहिणी की फटकार और पैसे की बर्बादी हुई सो अलग ।
बाबा के शहद को कूड़ेदान में डाला
लोहे के ब्रिसल जैसे टूथब्रश जिनका बेहतर उपयोग लोहे से जंग साफ करने में हो सकता है , चीनी मिला शहद , घी ऐसी की दाल रो उठे , चॉकलेट , बिस्कुट , मसाले अधिकांश ऐसे ही । पिछले 6 महीने से बाबा का शहद मेरे इम्युनिटी बूस्टर लिस्ट में स्थायी हिस्सा बना हुआ था । पर इधर ज्योंहि असली शहद का स्वाद मिला , बाबा के बचे शहद को उसकी असली मंजिल कूड़ेदान में पहुंचा दिया ।
बाबा पर हो मुकदमा
अभी इस दीवाली को अजीब वाकया हुआ । पता चला मेरे गाँव के अधिकांश लोगों ने बड़े चाव से बाबा की गोल वाली मोमबत्ती खरीदी । पर किसी की मोमबती जली ही नहीं । मुझे फोन आया । लोग केस मुकदमा फौजदारी सबके लिए तैयार । एक मन किया कूद पड़ें मैदान में और लगा दें सारी ऊर्जा इस ‘ राष्ट्रवादी धोखाधड़ी ‘ के खिलाफ ।
स्वदेशी , राष्ट्रीय , आर्गेनिक आदि शाब्दिक फरेबों के प्रभाव में भारतीय उपभोक्ताओं की निर्णय क्षमता का जिस तेजी से ह्रास हो रहा वह वाकई चिंताजनक है । जरुरत है थोड़ा इंफोर्मेटिव होने की , थोड़ा रैशनल होने की क्योंकि मामला दिल से जुड़ा है ।