इर्शादुल हक, संपादक नौकरशाही डॉट कॉम
प्रशांत किशोर ने पटना में मुस्लिम लीडरशिप कांफ्रेंस बुलाई. बापू सभागार में. इस दौरान पीके ने मुसलमानों को पैसों से खरीद लेने का ऐलान कर दिया. आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं. प्रशांत किशोर ने ऐलान किया कि वह 40 विधानसभा सीटों के मुस्लिम प्रत्य़ाशियों को अपने खर्चे पर चुनाव लड़ायेंगे. एकन्नी भी उन्हें खर्च करना नहीं पड़ेगा.
क्या आपने भारत के चुनावी इतिहास में इतनी बड़ी खरीद-फरोख्त कभी देखी-सुनी या पढ़ी है? अनेक पार्टियां अपने प्रत्याशियों को आर्थिक समर्थन देती हैं. लेकिन प्रत्याशियों को भी खर्च करना पड़ता है. किसी पार्टी ने, यहां तक कि भाजपा जैसी धनाढ़्य पार्टी ने भी ऐसा खुला खेल फर्रोखाबादी नहीं खेला. पर प्रशांत किशोर ने तो मुसलमानों के वोटों और प्रत्य़ाशियों की बोली ही लगा डाली. कीमत की घोषणा कर दी. मतलब एकदम शीशे की तरह साफ है. पीके ने हजारों लोगों के सामने ऐलान कर दिया कि आप अपनी कीमत बतायें, पैसे लें.
कीमत वस्तुओं, सेवओं की लगती है. और हां इंसानों की भी लगती है. पैगम्बर साहब के दौर से पहले अरब में इंसान खरीदे जाते थे, गुलामी के लिए. इंसान गुलामी के लिए ही खरीदे जाते हैं.
कुछ मुसलमानों की शिकायत है कि वे स्थापित पार्टियों की गुलामी नहीं करना चाहते. इसलिए प्रशांत किशोर के साथ जुड़ना चाहते हैं. किसी स्थापित पार्टी ने आपके वोट की, आपके प्रत्याशी बनने की कीमत देने का सार्वजनिक ऐलान किया? आपकी पब्लिक गैदरिंग में बोली लगायी?
पीके को आपकी सियासी कुअत का अंदाजा है. जब आप अपनी सियासी कुअत की कीमत लगने देंगे तो उनकी पहली और आखिरी शर्त आपको उनकी गुलामी के परवाने पर दस्तखत के रूप में तय करनी पड़ेगी. लोकतंत्र गुलामी के परवाने पर दस्तखत करने का नाम नहीं, बल्कि गुलामी से निजात की राह है.
संघ का हिडेन प्रोजेक्ट
आखिर ये सारा खेल कहां से रचा जा रहा है. समझिये. 2024 के लोकसभा चुनाव से ही भाजपा का इकबाल जमींदोज होता जा रहा है. भाजपा नर्वस है. बिहार एक ऐसा किला है जहां भाजपा अपने बूते सत्ता में नहीं आ सकी, उसके तमाम प्रयोग विफल हो चुके हैं.
————–
प्रशांत किशोर के सामने अशफाक रहमान ने लूट ली महफिल
प्रशांत किशोर भाजपा का एक नया प्रयोग हैं. उनके द्वारा मुसलमानों के वोट को, मुसलमानों की सियासी कुअत को और मुस्लिम लीडरशिप को खरीद लेने की हिडेन योजना है. ताकि मुसलमानों के और एक हद तक अन्य पिछड़ी जातियों के वोट को छिन्नभिन्न कर दिया जाये. टुकड़ों-टुकड़ों में बांट दिया जाये. इसका सीधा नुकसान सेक्युलरिज्म और समाजवादी शक्तियों को हो. जबकि भाजपाई विचारधारा के वोट को इंटैक्ट रहने दिया जाये. खुद आज प्रशांत ने कहा भी कि 36-40 प्रतिशत वोट भाजपा को उसकी संघी विचारधारा के तहत मिलते हैं. वो नहीं टूटने वाला. गोया कि प्रशांत किशोर संघ-भाजपा का एक बड़े प्रोजेक्ट का नाम है जो हर हाल में भाजपा के लिए बिहार की सत्ता पर काबिज होने का हिडेन एजेंडा है.
मिल्लत बचाओ-मुल्क बचाओ रैली करेगा यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चा