जन सुराज पार्टी प्रमुख प्रशांत किशोर ने बिहार के उपचुनाव में बेलागंज के बाद रामगढ़ में भी अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है। यहां एनडीए तथा इंडिया गठबंधन के दो राजपूत प्रत्याशियों के मुकाबले प्रशांत किशोर ने कुशवाहा जाति का प्रत्याशी देकर दोनों गठबंधनों की चिंता बढ़ा दी है। रामगढ़ में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह प्रत्याशी हैं। यहां एनडीए ने पूर्व विधायक अशोक सिंह को प्रत्याशी बनाया है। जन सुराज पार्टी ने यहां से सुशील कुशवाहा को प्रत्याशी बना दिया है। सुशील पहले बसपा में रह चुके हैं। वे बसपा की तरफ से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। वैसे उनकी राजनीति की शुरुआत भाजपा से ही हुई थी।
जन सुराज ने बेलागंज में दो यादव प्रत्याशियों के मुकाबले एक मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। यहां से राजद के प्रत्याशी हैं सांसद सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ सिंह। जदयू ने यहां से मनोरमा देवी को प्रत्याशी बनाया है। यहां जनसुराज ने खिलाफत हुसैन को प्रत्याशी बनाया है। यानी दो यादव प्रत्याशियों के मुकाबले एक मुस्लिम प्रत्याशी दे दिया।
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राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जन सुराज ने बेलागंज तथा रामगढ़ दोनों सीटों पर दोनों प्रमुख गठबंधनों को फंसा दिया है। बेलागंज में मुस्लिम प्रत्याशी देकर जनसुराज ने तीसरा कोण बना दिया है। मुस्लिम प्रत्याशी से राजद तथा जदयू दोनों को नुकसान हो सकता है, क्योंकि राजद और जदयू दोनों को मुस्लिम वोट की उम्मीद है। उधर रामगढ़ में भी यही स्थिति है। भाजपा और राजद दोनों को कुशवाहा वोट की जरूरत है। कुशवाहा वोट कट गया, तो परिणाम कुछ भी हो सकता है। इसी के साथ जुन सुराज उप चुनाव में चर्चा में आ गया है। उसकी कोई गठबंधन अनदेखी नहीं कर सकता। राज्य में चार सीटों पर उपचुनाव 13 नवंबर को होना है। ये सीटें हैं रामगढ़, इमामगंज, तरारी तथा बेलागंज। इन चारों सीटों के विधायक अब लोकसभा सदस्य हैं।
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