इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम

यहूदी षड्यंत्रकारी अब्दुल्लाह इब्न सबा के वैचारिक चेले प्रशांत किशोर पांडेय का षड्यंत्र नाकाम होने लगा है. और यह तब शुरू हो चुका है जब अभी 2 अक्टूबर को उनकी पार्टी का विधिवत षोषणा होना है.

संघ-भाजपा के इशारे पर लिखी गयी पटकथा के अनुसार मुसलमानों के वोटों में सेंध लगाने के उनके प्रयास को आज बड़ा धक्का लगा. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता अवैसे अम्बर ने ऐलान कर दिया कि वह जनसुराज से जुड़े अपने 1900 से अधिक साथी संस्थापक सदस्यों के साथ जनसुराज से अलग हो गये हैं.

अवैसे अम्बर ने नौकरशाही डॉड कॉम से कहा कि वह 25 अक्टूबर को प्रेस कांफ्रेंस करके इस मुद्दे पर खुल कर बात करेंगे. हालांकि उन्होने प्रशांत किशोर को इशारों में महाघमंडी बताया और कहा कि उनके अहंकार के तले वे लोग दब कर काम करेंगे जिन्हें वो वेतन देते हैं. अम्बर ने कहा कि मैं उनकी कोर टीम का हिस्सा था लेकिन मैंने महसूस किया कि वहां उनकी राय को कोई महत्व नहीं दिया जाता.

सोशल मीडिया के पाठकों को यह बखूबी याद होगा कि मैं प्रशांत किशोर की तुलना यहूदी षड्यंत्रकारी अब्दुल्लाह इब्न सबा से करता रहा हूं. इस्लाम के तीसरे खलीफा हजरत उस्मान गनी के दौर में अब्दुल्ला इब्न सबा ने इस्लाम कुबूल करने का नाटक किया. और धीरे-धीरे उसने हजरत उस्मान गनी और हजरत अली के समर्थकों के बीच दुश्मनी पैदा कर दी. उसके षड्यंत्र का नतीजा यहां तक आ पहुंचा के अंत में हजरत उस्मान गनी को कत्ल तक कर दिया गया. उसके बाद मुसलमानों के अंदर गृहयुद्ध के हालात बन गये. हजारों मुसलमान आपस में लड़ के कट-मर गये.

आज के लोकतांत्रिक युग में प्रशांत किशोर उसी यहूदी षड्यंत्रकारी अब्दुल्लाह इब्न सबा केवैचारिक चेले की भूमिका में हैं. लेकिन जिस तरह से अवैस अम्बर ने समय रहते प्रशांत किशोर पांडेय के षड्यंत्र को पहचान लिया है यह काबिले तारीफ है.

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प्रशांत किशोर 2 अक्टुबर को अपनी पार्टी का औपचारिक ऐलान करने की तैयारी में जुटे हैं. लेकिन उससे पहले ही मुसलमानों में यह समझ साफ होती जा रही है कि प्रशांत किशोर पर्दे के पीछे भाजपा-संघ के एजेडें पर लिखी गयी पटकथा के अनुसार काम कर रहे हैं. जिस तरह के हालात बनते जा रहे हैं उससे लगता है कि आने वाले समय में बड़ी संख्या में मुसलमान पीके पांडेय की साजिश को समझते जायेंगे और उनसे किनारा करते जायेंगे.

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By Editor


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