इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम
जनसुराज की बिहार बदलाव रैली के सुपर फ्लॉप होने की बात तो सब बता रहे हैं. लेकिन अंदर की बात बता रहा हूं जो कोई और नहीं बतायेगा. इसलिए जरा ध्यान से सुनिये, और हक की बात देखिए.
5.15 बजे, यानी सूरज डूबने में मात्र घंटा भर समय बचा था. प्रशांत किशोर मंच से नदारद थे. आठ दस हजार लोग तीन घंटे से इंतजार में थे.मजबूर हो कर वापस जाने लगे. दस लाख की भीड़ का दावा और दस हजार मुश्किल से लोग पहुंचे. इससे नाराज ही नहीं गुस्से में थे पीके पांडे. एक करीबी सूत्र ने बताया कि वे अपने मुलाजिमों को अपशब्द तक कहे.
दूसरी तरफ सूत्र यह भी बता रहे हैं कि गांव -गांव से लोगों को लाने के लिए जिन बसों या दीगर वाहनों के लिए पैसे दिये गये थे . बड़ी संख्या में लोगों ने पैसे तो ले लिए लेकिन वाहन बुक करने के बजाये पैसे ले कर चंपत हो गये. नतीजा यह हुआ कि पीके पांडेय सूरज डूबने से कुछ मिनट मंच पर पहुंचे. इससे पहले तीन घंटे तक मंच के लोग जनता से अपील करते रहे कि वे आगे की कुर्सियों पर आ जायें. पर लोग हों तब तो आयें.
बिहार के लोगों को रोजगार के नाम पर चूना लगाने वाले पीके को बिहारियों ने ग़ज़ब का चूना लगा दिया।
जनसुराज की सुपर फ्लॉप रैली की अंदर की कहानी देखिए, हक की बात इर्शादुल हक के साथ.