ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि मधुबनी के गीदरगंज की मस्जिद को पुलिस ने जूतों से रौंदा और सजदे में झुके नमाजियों पर लाठिया बरसायीं जिससे आधा दर्जन लोगों को गंभीर चोट आयी.
इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम
यह घटना 30 अप्रैल की शाम की है. इस संबंध में अखबारों ने खबर प्रसारित की कि लाकडाउन का पालन कराने पुलिस पहुंची तो लोगों पुलिस पर हमला किया और गोली चला दी. यह खबर बिहार के अनेक अखबारों के एक अप्रैल को प्रथम पेज की खबर बनी है. हालांकि स्थानीय लोगों ने नौकरशाही डॉट कॉम को बताया है कि पुलिस ने इस मामले में झूठी खबर गढ़ी और मीडिया ने सिर्फ पुलिस के पक्ष के आधार पर खबर बना दी.
उधर अंधराथारी थाना के एसाई ने नौकरशाही डाट काम से कहा कि पुलिस मस्जिद में स्यापन के लिए गयी थी. पुलिस ने किसी पर लाठी नहीं चलाई. जबकि पुलिस ने कहा कि जिस व्यक्ति को गोली गने की बात कही गयी है उसने खुद ही अपने पैर में पीतल की कील घुसा ली.
नौकरशाही डॉट कॉम को अंधरा थारी प्रखंड के गीदरगंज गांव के वार्ड पार्षद शाकिर अली ने बताया कि पुलिस मस्जिद में ठीक उस वक्त पहुंची जब 6-7 लोग मगरिब ( सूरज डूबने के बाद) नमाज पढ़ रहे थे. मस्जिद में जूतों समेत पहुंची पुलिस ने सजदे में झुके नमाजियों पर बेरहमी से लाठिया बरसानी शुरू कर दी. कुछ लोग जब वहां से भागे तो पुलिस उनके घरों में घुस कर स्थानीय ग्रामीण अनवर को मारा. जब उनके परिवार की महिला सदस्यों ने बीच बचाव किया तो पुलिस ने महिलाओं को भी नहीं बख्शा और उन पर भी लाठियों की बरसात कर दी.
एक अन्य स्थानीय ग्रामीण जो एक स्कूल में शिक्षक हैं, ने नौकरशाही डाट काम को बतया कि इस घटना के बाद गांव के लोग क्रोधित हो गये और भीड़ ने पुलिस का पीछा करन शुरू कर दिया. इस वक्त तक भीड़ काफी बढ़ गयी थी जिसके कारण पुलिस अपनी तीन में से एक जीप छोड़ कर भागी. स्थानीय लोगों का कहना है कि भीड़ के आक्रोष से डरी पुलिस ने भागते हुए अनेक गोलियां भी चलाई जिसके कारण लाल बाबू, पिता मुश्ताक को पैर में गोली लगी. लाल बाबू का एक विडियो नौकरशाही डाट काम के पास है जिसमें वह बता रहा है कि वह दुकान से खाने पीने की चीजें ले कर आ रहा था तब पुलिस ने गोली चलाई जो उसके पैर में लगी. पुलिस के इस आरोप को कि लाल बाबू ने पुलिस के खिलाफ केस करने के लिए अपने पैर में पीतल की कील खुद ही घुसा लिया, उसके पिता ने कहा कि यह पुलिस की साजिश है.
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण से सचेत रहने के लिए देश भर में लाकडाउन है और लोगों को आगाह किया जा रहा है कि वे एक जगह भीड़ न लगायें. बिहार समेत पूरे भारत में मस्जिदों समेत तमाम धार्मिक स्थलों में बाहरी भीड़ को रोकने के लिए कदम उठाये गये हैं. ऐसे में लाकडाउन का पालन कराने की जिम्मेदारी पुलिस की है.
लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि पुलिस मगरिब की नमाज के से पहले उन्हें मस्जिद प्रेवेश से रोक सकती थी. लेकिन उसके ऊपर आरोप लगा है कि नमाज से पहले लोगों को रोकने के बजाये उन पर मस्जिद में घुस कर हमला क्यों किया गया.