पोप से मिले मोदी, भारत आने का दिया न्योता, ये है वजह
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वेटिकन सिटी में ईसाइयों के सबसे बड़े धर्म गुरु पोप से मिले। उन्हें भारत आने का न्योता भी दिया। ये है सबसे बड़ी वजह।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वेटिकन सिटी में ईसाई धर्म के प्रमुख धर्मगुरु पोप फ्रांसिस से मिले। उन्होंने उनके साथ गले मिलते अपनी तस्वीर भी खुद ही ट्वीट की। प्रधानमंत्री ने पोप को भारत आने का न्योता भी दिया। उसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अंग्रेजी में ट्वीट किया-प्रधानमंत्री का पोप से मिलना ऐतिहासिक अवसर है। इससे दुनिया में शांति, भाईचारा और अंतरधार्मिक संवाद को बढ़ावा मिलेगा। सवाल है कि देश में अल्पसंख्यकों पर हमले के बाद चुप रहनेवाले नेता अचानक पोप से मिलने को ऐतिहासिक क्यों बताने लगे हैं और खुद प्रधानमंत्री पोप से मिल कर क्या संदेश देना चाहते हैं?
सिर्फ तीन महीना पहले मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की जेल में मौत हुई थी। वे 84 वर्ष के थे। ग्लास से पानी तक पीने में अक्षम थे। उनकी मौत पर राहुल गांधी ने कहा था-स्टैन स्वामी की मौत पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संवेदना जताते हुए ट्वीट किया कि “वे न्याय और मानवता के हक़दार थे।” तब भाजपा के सारे नेता चुप थे, जबकि देशभर में ईसाई संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया।
यह बात अब किसी से छिपी नहीं है कि हाल के महीनों में दुनिया में प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा कम हुई है। भारत लोकतंत्रिक पैमाने पर नीचे आया है। स्वीडिश संस्था-V-Dem Institute ने भारत को लोकतंत्रिक मानने से ही इंकार कर दिया और इसे संसदीय निरंकुश करार दिया था, जिसकी दुनिया भर में चर्चा हुई थी। भाजपा ने इस संस्था की रिपोर्ट पर विचार करने से इंकार कर दिया था।
कोरोना मिसमैनेजमेंट को लेकर भी पूरी दुनिया में देश की बदनामी हुई। खासकर यूपी में गंगा किनारे रेत में दफनाए शवों की तस्वीर पूरी दुनिया ने देखी। टाइम, द गार्डियन, न्यूयार्क टाइम्स सहित सभी प्रमुख अखबारों में भारत की ऐसी तस्वीर आई है, जिससे प्रधानमंत्री की छवि दुनिया में धूमिल हुई है।
इसके साथ ही किसान आंदोलन जो अब एक साल का होनेवाला है, उस पर दमन की तस्वीरों ने भी प्रधानमंत्री की छवि कमजोर की। पेगासस जासूसी मामले, पत्रकारों पर मुकदमे ये सबकी चर्चा विदेशी अखबारों में होती रही है। प्रधानमंत्री भले ही देश में हिंदुत्व का एजेंडा हमेशा सामने रखते हैं, पर वे दुनिया में कमजोर पड़ती अपनी छवि से जरूर परेशान होंगे। पोप को बुला कर यूरोप और अमेरिका में वे संदेश देना चाहते हैं कि भारत में अल्पसंख्योकों के प्रति अन्याय नहीं होता और उन्हें बराबरी का हक मिला हुआ है। हालांकि, इससे भाजपा के वे समर्थक जरूर परेशान होंगे, जो दिन-रात हिंदुत्व का एजेंडा बढ़ाते हैं, अल्पसंख्यकों के प्रति नफरत फैलाते हैं।
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