प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल एडवाइजर पीके सिन्हा ने दिया इस्तीफा
जीएसटी कानू तैयार करने में अहम भूमिका निभानेवाले प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल एडवाइजर पीके सिन्हा ने दिया आज इस्तीफा दे दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पसंदीदा अफसरों में शुमार 1977 बैच के आईएएस अधिकारी पीके सिन्हा ने आज प्रधानमंत्री के सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया। इस पद पर उनकी नियुक्ति सितंबर, 2019 में हुई थी। इससे पहले वे ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) पर कार्यरत थे।
वे प्रधानमंत्री के कितने पसंदीदा अफसर थे, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें 2015 में कैबिनेट सेक्रेटरी बनाया गया। उनका कार्यकाल समाप्त होने पर उन्हें दो बार एक्सटेंशन दिया गया। यह एक्सटेंशन एक-एक वर्ष के लिए था। अपने पदों पर रहते हुए उन्होंने कई बड़े निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जीएसटी कानून का प्रारूप तैयार करने में भी उनकी बड़ी भूमिका थी। जीएसटी पर अधिकारियों को जागरुक करने मॉनिटर करने में भी अहम रोल निभाया।
IAS बोले, अब हिंदुओं का एक हिस्सा दूसरे के दुख से खुश हो रहा
उनका कार्यकाल प्रधानमंत्री के कार्यकाल तक था। इसी बीच उन्होंने इस्तीफा दे दिया। मीडिया में इस बात की भी चर्चा है कि वे प्रधानमंत्री के इतने करीब हैं कि शायद अब उन्हें किसी संवैधानिक पद की जिम्मेदारी दी जाए। द प्रिंट के अनुसार हो सकता है, उन्हें लेफ्टिनेंट गवर्नर बनाया जाए और दिल्ली या पुडुचेरी भेजा जाए।
IAS हरिओम फिर चर्चा में, मानसरोवर यात्रा पर आई नई पुस्तक
सिन्हा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रिंसिपल एडवाइजर थे। मालूम हो कि यह पद खासकर पीके सिन्हा की नियुक्ति के लिए सृजित किया गया था। वे बहुत ही अहम जिम्मेवारी निभा रहे थे। वे नीति निर्माण के मुद्दों को देख रहे थे, चाहे वे किसी भी विभाग या मंत्रालय से संबंधित हों।
आईएएस अधिकारी पीके सिन्हा ने इस्तीफा देते हुए निजी कारण बताया है। उनके इस्तीफा देते ही कयासों का दैर शुरू हो गया है। सभी लोग मानकर चल रहे हैं कि उन्हें कोई विशेष जिम्मेदारी दी जाएगी। अब देखना है कि उन्हें किस तरह की जिम्मेदारी दी जाती है। वे यूपीए सरकार में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा चुके हैं।