प्रधानमंत्री तालिबान पर मौन हैं, असम में 14 गिरफ्तार

अमेरिकी राष्ट्रपति कई प्रेस वार्ता कर चुके, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री मोदी अबतक तालिबान पर मौन हैं। उधर, तालिबान का समर्थन करने पर असम में 14 गिरफ्तार।

अमेरिका, ब्रिटेन सहित सभी प्रमुख देशों के प्रधान तालिबान मसले पर अपने देश का रुख स्पष्ट कर चुके हैं। लेकिन भारत के प्रदानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक देश का स्टैंड जनता को नहीं बताया है। इसीलिए तालिबान को लेकर लोग अलग-अलग अपनी राय रख रहे हैं। इस बीच तालिबान का समर्थन करने के कारण असम में 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

असम के अलग-अलग जिलों में सोशल मीडिया में तालिबान के पक्ष में अपनी राय पोस्ट करने के बाद इन लोगों को गिरफ्तार किया गया। इन पर आईटी एक्ट और सीआरपीसी की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। असम पुलिस के विशेष डीजीपी जीपी सिंह ने गिरफ्तारी की पुष्टि की और कहा कि तालिबान का समर्थन करने के कारण इन्हें गिरफ्तार किया गया है।

देश की जनता भी बंट गई तालिबान पर

प्रधानमंत्री मोदी के अब तक मौन रहने के कारण देश की जनता भी बंट गई है। प्रमुख अखबारों के संपादकीय पन्नों पर रोज लेख छप रहे हैं, जिसमें तालिबान से किसी स्तर पर संबंध बनाने की सिफारिश से लेकर तालिबान के साथ कोई संबंध न बनाने के विरोधी विचार लिखे जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर आम लोग भी बंटे दिखते हैं। कुछ इसका विरोध कर रहे हैं, किसी को लग रहा है कि तालिबान पहले वाले नहीं हैं, ये बदले हुए हैं।

उधर, प्रधानमंत्री मोदी का पुराना बयान भी लोग याद कर रहे हैं जिसमें उन्होंने गुड तालिबान और बैड तालिबान के विचार को खारिज किया था। इस बीच अफगानिस्तान की स्थिति का अपने देश में राजनीतिक इस्तेमाल भी शुरू हो गया है और सोशल मीडिया में धर्म विशेष को निशाना बनाया जा रहा है। सेक्युलर हिस्सा भी बंटा हुआ है। एक हिस्से का कहना है कि कट्टर विचार का समर्थन करना घातक होगा, चाहे वह भारत में हो या अगानिस्तान में। इस तबके का कहना है कि जो लोग तालिबान का समर्थन कर रहे हैं, वे प्रकारांतर से देश में कट्टरवाद को खाद-पानी दे रहे हैं। कुछ लोग अमेरिकी पिछलग्गु बनने के बजाय देश की संवतंत्र नीति बनाने पर जोर दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री अगर देश का स्टैंड क्लियर करते हैं, तो देश को एक राय बनाने में आसानी होगी, हालांकि तब भी किसी को अपनी भिन्न राय रखने से कैसे रोका जा सकता है। अमेरिका और ब्रिटेन में भी सरकार की नीतियों की आलोचना हो रही है।

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By Editor


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