भ्रष्टाचार के इस महाखेल के बाद मंगल पांडेय और दिलीप जायसवाल को जेल में होना चाहिए.

इस भ्रष्ठ यारी की खासियत यह है कि दोनों भाजपा नेता हैं. मंगल स्वास्थ्य मंत्री तो दिलीप जायसवाल प्रदेश अध्यक्ष हैं. दिलचस्प यह है कि दिलीप जायसवाल ने घूस में यह रकम परोक्ष रूप से स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को दी. बदले में पांडेय ने दिलीपी जायसवाल के मेडिकल कॉलेज को डीम्ड युनिवर्सिटी का दर्जा दिला दिया. ये सारे आरोप प्रशांत किशोर ने साक्ष्यों के साथ पत्रकारों के सामने रखा है.

6 अगस्त 2019 को दिलीप जायसवाल ने पंजाब नेशनल बैंक के अपने निजी अकाउंट से 25 लाख रुपये मंगल पांडेय के पिता अवधेश पांडेय के अकाउंट में आरटीजीएस के माध्यम से दिया. उसके बाद अवधेश पांडेय ने उस पैसे को मंगल पांडेय की पत्नी उर्मिला पांडेय के अकाउंट में ट्रांस्फर कर दिया. उसके बाद उर्मिला पांडेय ने उस पैसे को दिल्ली के द्वारका में फ्लैट खरीदने में खर्च किया. प्रशांत किशोर ने ये सारे साक्ष्य पेश करते हुए यह भी खुलासा किया कि जो फ्लैट खरीदा गया उसकी कीमत 86 लाख रुपये है. मजे की बात यह है कि उस फ्लैट खरीद में दिलीप जायसवाल विटनेस बने हैं.

अपने तर्कों को मजबूती देते हुए प्रशांत किशोर ने एक और तथ्य पेश किया. उन्होंने मंगल पांडेय के 2020 के चुनावी शपथपत्र को दिखाया जिसमें उन्होंने इस बात का जिक्र नहीं किया है कि उन्होंने किसी से 25 लाख रुपये कर्ज या उधार लिया है. प्रशांत किशोर का कहना है कि इससे साफ झलकता है कि मंगल पांडेय ने यह राशि घूस के तौर पर ली.

प्रशांत किशोर ने मंगल पांडेय को बड़ा भ्रष्ट बताते हुए कहा कि राज्य सरकार ने 1000 एम्बुलेंस खरीद का टेंडर निकाला. इस खरीद में भी बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी पांडेय ने की है. उन्होंने कहा कि 19 लाख में जो एम्बुलेंस बाजार में मिलता है उसके लिए सरकार ने करीब 28 लाख रुपये अदा किये. मतलब एक एम्बुलेंस पर 9 लाख रुपये अदा किया गया.

अब इस मामले पर मंगल पांडेय और दिलीप जायसवाल को सामने आ कर अपना पक्ष रखना चाहिए.

 

By Editor