इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम
मुसलमानों द्वारा जनसुराज छोड़ कर जाने से भगदड़ तो पहले से ही थी. लेकिन जो दृश्य आज दिखा उससे साफ हो गया कि प्रशांत किशोर नांक रगड़ के रह जायें लेकिन मुसलमान उनसे अब चाह कर भी नहीं जुड़ेंगे.
दर असल मुसलमानों का जनसुराज छोड़ने घबराये प्रशांत किशोर ने आज भाजपा के पूर्व सांसद उदय सिंह की कोठी से संचालित दफ्तर में मुस्लिम पत्रकारों की बैठक बुलायी.
मुसलमानों को अपमानित करने की मानसिकता
बैठक का उद्देश्य मीडिया प्रभारी ओबैदुर्रहमान, सैयद मसीहउद्दीन व तारिक अनवर ने पहले बताया. कहा कि “मुसलमानों को साथ जोड़ने से जुड़ी चुनौतियों पर आज प्रशांत किशोर आप सबसे तबादला ख्याल करेंगे”.
इसके बाद प्रशांत किशोर ने दार्शनिक व शिक्षक की तरह प्रवचन देना शुरू किया. प्रशांत किशोर दर असल इस बैठक में मुसलमानों को एक खास पार्टी को सपोर्ट करने पर ‘बंधुआ मजदूर’, ‘मानसिक गुलाम’जैसे शब्दों के बाण छोड़ कर अपमानित कर रहे थे.. ऐसा वह अकसर करते हैं. आज भी किया. लेकिन जब कोई उनसे पूछ बैठता है कि आप भाजपा को जिताने के लिए सारा खेल रच रहे हैं तो वह उखड़ जाते हैं. वह अहंकार में इतने मदमस्त हो जाते हैं कि पत्रकार को ‘अरे तुम बैठो’ तक कहने से बाज नहीं आये.
मोदी-शाह के प्रति साफ्ट कॉर्नर
इसी बीच एक पत्रकार ने उनसे तीखा सवाल कर दिया. कहा कि आप भाजपा, खास कर मोदी शाह की आलचोना नहीं करते. मोदी तो फास्सिट की तरह आचरण करते हैं. क्या आप इस बात को स्वीकार करते हैं? इतना पूछना था कि प्रशांत किशोर हत्थे से उखड़ गये.लेकिन वह पत्रकार भी कोई मामूली नहीं थे. बिहार की पत्रकारिता में मजबूत दखल रखने वाले सीनियर पत्रकार ( नाम गोपनीय) हैं. सो अड़ गये. ऐसे अड़े कि प्रशांत किशोर का चेहरा मुरझा गया. उनके होंठ सूख गये. बोतल से पानी लिया और गला तर किया. लोगों ने बीच बचाव करके मामला शांत कराया. फिर प्रशांत किशोर ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यस्था में चुने हुए लीडर को हम फासिस्ट नहीं कहेंगे. बिल्कुल नहीं.
प्रशांत किशोर अकसर अपनी बैठकों में मुसलमानों को लताड़ लगाते हैं. अपमानित करते हैं. और यही उनका घमंड उन्हें मुसलमानों से दूर करता जा रहा है. आखिर मुसलमानों ने देख लिया है कि 2024 में बेलागंज, इमामगंज समेत तीन विधानसभाओं के उपचुनाव में मुसलमानों का वोट तो जनसुराज ने ले लिया लेकिन खुद पीके के स्वजातीय ब्रह्मनों ने उन्हें वोट नहीं दिया.और तीनों सीटों से एनडीए जीत गया ऐसे में मुसलमान यह समझ चुके हैं कि पीके किसे जिताने का वैचारिक ठेका लिये बैठे हैं.
लेकिन आज जिस तरह से पीके ने व्यवहार किया उससे साफ होता जा रहा है कि मुसलमान उनके झांसे को समझ चुके हैं.