चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की भाजपा के बीच पांच वर्षों से चल रही अनबन अब खत्म होने को है. प्रशांत 2019 का चुनाव प्रचार फिर नरेंद्र मोदी के लिए कर सकते हैं. याद करने की बात है कि 2012 के गुजरात चुनाव व 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रशांत की टीम ने मोदी के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी लेकिन 2014 के बाद अमित शाह के साथ हुई अनबन के बाद प्रशांत ने अपनी अलग राह अपना ली थी.
हिंदुस्तान टाइम्स ने भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि प्रशांत किशोर की मीटिंग पीएम मोदी से हुई है.
हालांकि भाजपा ने इस मामले में अभी कोई औपचारिक घोषणा नहीं की है लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स में प्रशांत झा ने लिखा है कि मोदी व प्रशांत पिछले छह महीने से एक दूसरे के सम्पर्क में रहे हैं उसके उपरांत ही प्रशांत किशोर ने मोदी से मुलाकात की है. अखबार ने अपने सूत्र को कोट करते हुए लिखा है कि “मीटिंग हुई है. लेकिन यह याद रखना चाहिए कि मोदी 2012 वाले मोदी नहीं हैं. वह आज देश के पीएम हैं और सबसे शक्तिशाली नेता हैं. भाजपा भी 2012 वाली भाजपा नहीं है. यह एक शक्तिशाली पार्टी बन चुकी है. इसी तरह प्रशांत भी पहले वाले प्रशांत नहीं रहे. वह पिछले दिनों में अपनी अलग राह पर चल चुके हैं. लेकिन यह तय है कि उनसे बातचीत चल रही है”.
प्रशांत किशोर इंडियन पॉलिटिकल लीडरशिप कमेटी नामक संस्थान का संचाल करते हैं. उन्होंने मोदी के लिए प्रचार किया था उसके बात उनकी शोहरत काफी बढ़ी थी. बाद में बिहार के चुनाव में प्रशांत की टीम ने नीतीश कुमार के लिए चुनावी कम्पेन की कमान संभाली थी. उस दौरान भी उन्हें कामयाबी मिली थी. लेकिन उत्तर प्रदेश के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के लिए प्रचार किया था और कांग्रेस बुरी तरह वहां हार गयी थी.
नीतीश कुमार ने अपनी जीत के बाद प्रशांत किशोर को कैबिनेट रैंक का दर्जा तक दिया था लेकिन उस चुनाव के बाद इस रैंक पर रहते हुए सरकार के लिए कुछ किया भी या नहीं इसकी जानकारी कभी सार्वजनिक नहीं हुई. जब सुशील मोदी विपक्ष में थे तो उन्होंने कई बार इस मामले को उठाया था . लेकिन अब जब मोदी सरकार का हिस्सा हैं तो अब वह इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहते.