जन सुराज सुप्रीमो प्रशांत किशोर के लिए कभी अमित शाह ने पैरवी की थी। नीतीश कुमार कह चुके हैं कि शाह के कहने पर पीके को जदयू का उपाध्यक्ष बनाया था। और आज खुद प्रशांत किशोर ने कहा कि उनकी विचारधारा मानवता है और सभी विचार के लोग उनके साथ हैं, जिनमें संघ की विचारधारा वाले लोग भी हैं।

राजद ने प्रशांत किशोर पर दो बड़े आरोप लगाए हैं। पहला कि वे संघ के जासूस के रूप में जदयू में काम कर चुके हैं और दूसरा कि दक्षिण भारत के शराब माफियों के फंड से पेमेंट पर कार्यकर्ता बहाल करके शराबबंदी खत्म करने की वकालत कर रहे हैं।

राजद ने एक्स पर लिखा- नीतीश कुमार ने खुलेआम टीवी चैनलों में कई बार कहा है कि उन्होंने बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बारंबार आग्रह करने पर उसे अपनी पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था लेकिन वह हमारी पार्टी में आकर गड़बड़ करने लगा तो उसे हटा दिया। नीतीश कुमार की इस बात का खंडन ना तो आज तक अमित शाह ने किया और ना ही प्रशांत किशोर पांडे ने। सीधा-स्पष्ट है कि वह जेडीयू में बीजेपी का प्लांटेड जासूस था और अब वह के पर बीजेपी की मदद के लिए एक पार्टी बना पिछले दरवाज़े से प्रत्यक्ष रूप से मोदी-शाह के लिए काम कर रहा है। शिखंडी बाज़ारू का यही काम होता है कि पहले किसी पार्टी का काम के बहाने डेटा चुराओ और अगले चुनाव में इसे बीजेपी को दे दो। ऐसा व्यापारी आदमी व्यापार करने से बाज तो आता नहीं इसलिए विपक्ष का वोट काटने के नाम पर अब बीजेपी फंड दे रही है। इससे उसका धंधा ही चल रहा है। गुजरात का एक बड़ा व्यापारी झारखंड की तरह बिहार में पैर जमाने और यहाँ के खनिज लूटने के लिए फंड दे रहा है, की शराब लॉबी बिहार से शराबबंदी हटाने के नाम पर फंड दे रही है. इसलिए ही बाज़ारू आदमी ने से अधिक लोगों को रख गाँधी की फोटो लगा शराबबंदी हटाने तथा बिना किसी विचारधारा, दृष्टि, नीति, नियम और सिद्धांत के धन-सुराज लाने की ठानी है। ई बिहार है बव्वा बिहार! यहाँ का दलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा और मुसलमान बहुत जागरूक हो चुका है। वो जानते है कि जातिवादी एवं बिकाऊ मीडिया के सहारे यह का प्रयोग, और है। वंचितों, उपेक्षितों का चरित्रहनन कर उन्हें भ्रमित करने में शायद इनके पूर्वज सफल हुए होंगे लेकिन अब उनके वंशजों को ऐसा नहीं करने देंगे। गंगा-गंडक, कोसी-कमला-बागमती, सोन-पुनपुन और फल्गु में बहुत पानी बह चुका है।

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नोट:- राजद ने चुनावी प्रबंधन के लिए कभी भी किसी एजेंसी और व्यक्ति से आजतक सेवा नहीं ली है। अगर कोई ऐसा दावा करता है तो सस्ती लोकप्रियता के लिए निराधार दावा करता है। हमारे नेता आदरणीय श्री लालू प्रसाद जी नेता और दल बनाने की संस्था है। जितना ऐसे पाखंडी लोगों का उम्र नहीं उतना लालू जी का संसदीय जीवन का अनुभव है। लेकिन यह बताओ, अमित शाह का जदयू में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने का क्या उद्देश्य था? यह रिश्ता क्या कहलाता है?

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By Editor


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