पंजाब में केजरीवाल खुल कर नफरत की राजनीति पर उतरे
पंजाब की सियासत में कभी सांप्रयिकता मजबूत नहीं रही। दो दिन पहले चढ्ढा ने हिंदू-हिंदू किया, तो लगा शायद जुबान फिसली हो। अब केजरीवाल खुल कर उतरे।
दो साल पहले दिल्ली में सीएए विरोधी आंदोलन में चुप्पी, जामिया मीलिया में घुसकर पुलिस की कार्रवाई पर चुप्पी और दिल्ली दंगों के दौरान भी उसी तरह के मौन ने साबित कर दिया था कि केजरीवाल देश की धर्मनिरेपक्ष राजनीति के राही नहीं हैं, लेकिन पहली बार जो काम यूपी में भाजपा कर रही है, वही काम पंजाब में अरविंद केजरीवाल खुल कर करने में लगे हैं।
आज अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले को जिस तरह रोका गया, उससे पंजाब के हिंदू भयभीत हैं। यह खुलेआम पंजाब में सिख और हिंदुओं के बीच नफरत फैलाना नहीं तो और क्या है?
इससे पहले आप नेता राघव चढ्ढा ने कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ के बारे में कहा था कि वे हिंदू हैं, इसीलिए कांग्रेस ने पंजाब में उन्हें सीएम पद का उम्मीदवार नहीं बनाया। जैसे लगता है कि आप ने किसी हिंदू को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी बनाया है। खुद केजरीवाल ने कहा था कि पंजाब में कोई सिख ही उनका सीएम प्रत्याशी होगा। पिर बनाया भी। चढ्डा के बयान को तब लोगों ने गंभीरता से नहीं लिया था।
शुरुआत में आप के केजरीवाल ने पंजाब में दिल्ली मॉडल पर जोर दिया था, लेकिन चुनाव नजदीक आते ही वे खुलकर सांप्रदायिक कार्ड खेलने लगे। उन्होंने कहा कि एक हिंदू ने आकर उनसे कहा कि चन्नी ने प्रधानमंत्री मोदी को सुरक्षा नहीं दी, जिससे उसे डर लग रहा है। इसी बात को केजरीवाल कह रहे हैं कि पंजाब के हिंदू डर गए हैं। मालूम हो कि पंजाब में हिंदुओं का आबादी 38 फीसदी है।
पंजाब कांग्रेस ने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के बयान को कोट करते हुए कहा- आप गलती कर रहे हैं अरविंद केजरीवाल जी कि पंजाब में रहनेवाले किसी भी धर्म के लोग किसी दूसरे धर्म से डरे हुए हैं। राहुल गांधी ने ठीक ही चेतावनी दी कि सत्ता के लिए लोगों को धर्म के आधार पर बांटने की प्रयोगशाला पंजाब नहीं बनेगा।
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