भाजपा शासित उत्तराखंड में काजी निजामुद्दीन ने भाजपा प्रत्याशी करतार सिंह भड़ाना को कांटे के मुकाबले में हरा दिया है। कांग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन ने राज्य के मंगलौर विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी को 422 वोट से हराया। देश के सात राज्यों के 13 विधानसभा क्षेत्रों में 10 जुलाई को मतदान हुआ था, जिसका परिणाम आज शनिवार को सामने आया।
उत्तराखंड में कांग्रेस के मुस्लिम प्रत्याशी की जीत चौंकाने वाली है। पूरे प्रदेश में मंगलौर ही एक सीट है, जहां मुस्लिम मतदाताओं का संख्या जीत-हार को तय करने वाली है। यहां बसपा ने भी मुस्लिम प्रत्याशी दिया था। कांग्रेस प्रत्याशी को 31, 727 मत मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी को 31,305 वोट मिले, वहीं बसपा के ओबेदुर रहमान को 19,559 वोट मिले। बसपा द्वारा मुस्लिम प्रत्याशी दिए जाने के बाद भी कांग्रेस की जीत का विशेष महत्व है।
काजी निजामुद्दीन की पृष्ठभूमि सियासी रही है। उनके पिता काजी मोइउद्दीन उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उत्तराखंड बनने के बाद वे पहले प्रोटेम स्पीकर रहे। काजी निजामुद्दीन ने यहां से पहले भी विधायक रह चुके हैं। वर्ष 2002 में वे बसपा के टिकट पर चुने गए। वर्ष 2007 में वे फिर बसपा के टिकट पर इसी मंगलौर से जीते। 2012 में वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव में उतरे पर हार गए, लेकिन 2017 में वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत गए। इसके बाद 2022 विधानसभा चुनाव में वे हाजी करीम अंसारी से चुनाव हार गए। उनके निधन के अब उप चुनाव में एक बार फिर से काजी निजामुद्दीन ने जीत हासिल की है।
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उत्तराखंड में दो सीटों पर उपचुनाव हुए। मंगलौर के अलावा बद्रीनाथ में चुनाव हुआ था। दोनों ही सीटों पर भाजपा को हरा कर कांग्रेस ने जीत हासिल की है। बद्रीनाथ में कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार की ज्यादा चर्चा है। अयोध्या के बाद हिंदुओं के दूसरे धार्मिक स्थल बद्रीनाथ से भाजपा की हार उसे पस्त करने वाली है।