संसदीय इतहास में पहली बार सदस्यों ने क्यों मांगी सदन में चूहा पेश करने की मांग
भारतीय संसदीय इतिहास में शायद यह पहली घटना हो. जब विपक्षी सदस्य सदन परिसर में चूहा ले कर पहुंच गये हों और सभापति से चूहे को सदन में प्रवेश की अनुमति मांगी गयी हो.
यह अद्भुत नजार बिहार विधानसभा में देखने को मिला. जब राष्ट्रीय जनता दल के कुछ सदस्य पिंजड़े में बंद चूहा के साथ सदन परिसर में आ गये. उन्होंने पत्रकारों को चूहे संग बाइट दिया और बताया कि हम सभापति महोदय से कहेंगे कि वह सदन में चूहे के प्रवेश की अनुमति दें.
बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष की नेता राबड़ी देवी भी अपने सदस्यों के साथ मौजदू थीं. वह भी कह रही थीं कि चूहे को सदन में प्रवेश की अनुमति मिलनी चाहिए.
दर असल पिंजड़े में बंद यह चूहा, उन चूहों का प्रतिनिधित्व कर रहा है जिन पर बिहार सरकार ने पिछली बरसात में आरोप लगाया था कि चूहे के कुतरने के कारण बांध टूटे और जिसके कारण बाढ़ आ गयी.
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इतना ही नहीं पिछले दिनों बिहार सरकार ने यह भी आरोप लगाया था कि चूहे लाखों रुपये की सरकारी दवाइयां खा गये. साथ ही साथ पिछले दिनों जब बड़े पैमाने पर अवैध शराब जब्त की गयी और फिर बाद में शराब के बारे में पूछा गया तो सरकार की तरफ से बताया गया कि चूहों ने शराब की बोतलें नष्ट कर दी.
ऐसे में भले ही राजद के सदस्य द्वारा चूहे को सदन में पेश करके उसे सजा देने की मांग मजाक लगे पर हकीकत यह है कि सरकार ने चूहों पर आरोप मढ़ कर अनेक बार अपनी जान बचाने की कोशिश की है.
राजद के सदस्यों का कहना है कि हमने चूहे को पकड़ लिया है लिहाजा सरकार सदन में इसे पेश करने की अनुमति दे और इसकी सजा तय करे. देखिए विपक्ष के सदस्य क्या कह रहे हैं.
उधर सत्ताधारी दल के एक सदस्य से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका क्या कहना था कि इस तरह के नाटक से कुछ होने को नहीं है. क्योंकि उनके पास सरकार को घेरने के लिए कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि यह सभापति का काम है कि वह चूहे को सदन में पेश करने की अनुमति देते हैं या नहीं.