पूर्वी उत्तर प्रदेश की हवा बदली-बदली सी है। राहुल गांधी और अखिलेश यादव मंगलवार को बनारस पहुंचे, तो भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भीड़ में जबरदस्त जोश भी दिखा। इसी के साथ अब पहली बार यह चर्चा शुरू हो गई कि क्या प्रधानमंत्री मोदी बनारस में चुनाव हार रहे हैं? उप्र में जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ा भाजपा की हालत खराब होती गई। इस साल जनवरी में राममंदिर के उद्घाटन के समय माना जा रहा था कि उप्र में भाजपा की सीटें 62 से बढ़ने वाली हैं। कई लोग मान रहे थे कि अकेले उप्र में भाजपा को 70 सीटें आ सकती हैं। लेकिन चुनाव शुरू होने के बाद और खासकर दूसरे चरण की समाप्ति होते-होते भाजपा के पांव उखड़ते दिखे। रामंदिर मुद्दा नहीं बन सका, बल्कि रोजी-रोटी, किसानों को फसल की कीमत अग्निवीर जैसे सवाल भारी पड़ने लगे। इसके साथ ही अखिलेश यादव का पीडीए भी काम करता दिखा। अखिलेश ने गैरयादव पिछड़ों को बड़ी संख्या में प्रत्याशी बनाया। इसका असर भी दिखने लगा। कुर्मी, कुशवाहा, निषाद, जो पहले भाजपा के साथ थे, अब उनका अच्छा हिस्सा इंडिया गठबंधन के साथ आता दिखा। बसपा का आधार संविधान बचाने के लिए इंडिया गठबंधन के साथ आता दिखा, जो इस चुनाव में बिल्कुल नई चीज है।
राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री मोदी पर जम कर हमले किए। अखिलेश यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बनारस से जो-जो वादा किया, किसी को पूरा नहीं किया। बनारस को क्योटो बनाने का वादा था, गंगा को स्वच्छ करने का वादा था, किसानों की आय दोगुनी करने का वादा था, दो करोड़ रोजगार देने का वादा था, लेकिन कोई वादा पूरा नहीं किया। उन्होंने प्रधानमंत्री को झूठ बोलनेवाला प्रधानमंत्री कहा।
प्रधानमंत्री मोदी 2019 की तरह फिर चुनाव के दिन करेंगे ध्यान
राहुल गांधी ने कहा कि 4 जून को नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बनने जा रहे हैं। यह चुनाव प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी और अजय राय के बीच नहीं है। यह चुनाव नरेंद्र मोदी तथा अजय राय के बीच है। पाहुल गांधी ने महालक्ष्मी योजना, पहली नौकरी पक्की और किसानों की कर्जमाफी की घोषणा की।