स्वतंत्रता दिवस समारोह में राहुल गांधी को पीछे की सीट दिए जाने की देशभर में आलोचना हो रही है। इसे परंपरा के खिलाफ बताया जा रहा है। बाद में सरकार की तरफ से सफाई दी गई कि आगे सी सीट ओलिंपिक विजेताओं के लिए आरक्षित थी। कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पीछे की सीट पर बैठा कर अपनी कुंठा दिखाई है।
लाल किले के प्रांगण में स्वतंत्रता दिवस का मुख्य समारोह आज आयोजित हुआ, जिसमें विपक्ष के नेता को पीछे की सीट दी गई। परंपरा यह रही है कि विपक्ष के नेता को केंद्रीय मंत्रियों के साथ आगे की सीट दी जाती है। जब यूपीए अथवा कांग्रेस की सरकार रही, तो विपक्ष के नेता लाल कृष्ण आडवाणी केंद्रीय मंत्रियों के साथ आगे की पंक्ति में बैठते थे। जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तब सोनिया गांधी को केंद्रीय मंत्रियों के साथ आगे की सीट दी गई थी। इस बार ऐसा क्या हुआ कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पीछे की सीट दी गई। इस मामले में विवाद हो गया है और सरकार के फैसले पर लोग सवाल उठा रहे हैं। युवा वर्ग में खासी नाराजगी देखी जा रही है।
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इधर राहुल गांधी ने स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना देते हुए कहा कि हमारे लिए स्वतंत्रता सिर्फ एक शब्द नहीं – संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों में पिरोया हुआ हमारा सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। यह शक्ति है अभिव्यक्ति की, क्षमता है सच बोलने की और उम्मीद है सपनों को पूरा करने की। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा विपक्ष के नेता राहुल गांधी को स्वतंत्रता दिवस समारोह में पांचवी लाइन में बैठाकर नरेंद्र मोदी ने अपनी कुंठा दिखाई है। लेकिन इससे जननायक को फर्क नहीं पड़ता। वैसे भी… छोटे मन के लोगों से बड़ी चीज़ों की उम्मीद करना बेमानी है। इंडिया गठबंधन के अन्य नेताओं ने भी सरकार के इस रवैये का विरोध किया है।
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