राहुल, नीतीश, ममता, केजरीवाल, तेजस्वी सभी ने नहीं खरीदा ब्लूटिक
राहुल गांधी, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल तथा तेजस्वी यादव में एक नई समानता देखिए कि सभी बिना ब्लू टिक के हैं। ब्लू टिक पर क्या कह रहे लोग।
भले ही ब्लू टिक आधिकारिक अकाउंट की पहचान था, लेकिन इससे सम्मान भी जुड़ गया था। ब्लू टिक को पगड़ी में कलगी की तरह देखा जा रहा था। कलगी मतलब पगड़ी में लगने वाला पंख। इससे पगड़ी की शोभा बढ़ जाती है। तो ब्लू टिक सम्मान और शोभा का प्रतीक भी बन गया था। ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क ने ब्लू टिक की कीमत तय कर दी। महीने का 650 रुपया और सालभर का 6800 रुपया। बहुत सारे लोगों ने पैसे देखर ब्लू टिक खरीद लिये हैं, वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ब्लू टिक के लिए पैसे देने से मना कर दिया। इसके बाद इन सभी के ब्लू टिक हटा लिये गए। इस तरह इन सभी नेताओं में यह एक नई समानता है। राजद और इसके किसी नेता के पास अब ब्लू टिक नहीं है।
देश के कई प्रख्यात लोगों ने भी ब्लू टिक के लिए पैसा देने से मना कर दिया। इनमें वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, वरिष्ठ पत्रकार और जनसत्ता के पूर्व संपादक ओम थानवी, पुण्य प्रसून वाजपेयी। ओम थानवी ने कहा-मस्कवा ने ब्लू टीका पोंछ दिया। अच्छा किया। मुफ्तख़ोर अलग हुए। जिन्होंने पैसा दिया, वे टीकेदार पहचाने जा सकते हैं। कुछ की पेशेवर ज़रूरत होगी ज़्यादा जगह और संपादन की सुविधा। कुछ के लिए रुतबे का ठप्पा है। पूंजीवाद का मज़ा है। मुफ़्तियों में असली खाता कौनसा है, यह पहचान अब लोग करें। पुण्य प्रसून वाजपेयी ने कहा-आधी रात की आजादी… ब्लू टिक ग़ायब…। विश्व बैंक के पूर्व अर्थशास्त्री और अर्थशास्त्र के प्राध्यापक कौशिक बसु ने कहा कि अब नाम के साथ ब्लू टिक शर्मिंदा करना वाला चिह्न बन गया, क्योंकि इससे पता चलता है कि आपने पैसे दे कर ब्वू टिक खरीदे हैं।
It’s embarrassing to have a blue tick now because it’s a signal you paid for it.
— Kaushik Basu (@kaushikcbasu) April 21, 2023
जिन यूजर्स ने ब्लू टिक के पैसे नहीं दिए, उनके नाम से इसे 20 अप्रैल की आधी रात से हटा दिया गया।
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