राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राजभवनों को राज्य के आम लोगों एवं विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों के लिए अधिक सुगम बनाने की आवश्यकता जतायी है।
श्री कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों और उपराज्यपालों के 50वें सम्मेलन के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्यपाल का पद देश की संघीय प्रणाली में सबसे महत्वपूर्ण है। केंद्र एवं राज्यों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने में राज्यपालों की महती भूमिका होती है।
उन्होंने राज्यपालों को यह सुझाव भी दिया कि वे अपने संबंधित राजभवनों को राज्य के आम लोगों एवं विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों के लिए अधिक सुगम बनाएं। यह सम्मेलन जनजातीय कल्याण और जल, कृषि, उच्च शिक्षा एवं जीवन की सुगमता पर जोर देने के साथ संपन्न हुआ।
राज्यपालों के पांच समूहों ने इन मुद्दोें पर अपनी रिपोर्ट सौंपी और इन पर विचार किया तथा वैसे कार्रवाई योग्य बिन्दुओं की पहचान की, जिन पर राज्यपाल एक महती भूमिका निभा सकते हैं। सम्मेलन में जनजातीय कल्याण के मुद्दे पर गहरी दिलचस्पी दिखाई गई और बताया गया कि जनजातीय कल्याण की नीतियों का निर्माण स्थानीय जरूरतों के अनुरूप किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने राज्यपालों एवं उपराज्यपालों के साथ हुई चर्चा को सार्थक बताते हुए कहा कि विभिन्न मंत्रालयों एवं नीति आयोग की भागीदारी ने इन चर्चाओं को केंद्रित और कार्रवाई योग्य बनाने में सहायता की। उन्होंने विश्वास जताया कि इस सम्मेलन के विचार विमर्शों से कई उपयोगी समाधान निकलेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस वर्ष 26 नवंबर को 70वां संविधान दिवस है। उस दिन नागरिकों के बीच मौलिक कर्तव्यों को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए एक अभियान आरंभ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वन, झील एवं नदियों जैसे जल संसाधनों सहित प्राकृतिक वातावरण की सुरक्षा करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य है। देश की प्रगति के लिए सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए नियमित रूप से प्रयास करना भी संवैधानिक कर्तव्य है। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह ने भी समापन सत्र को संबोधित किया।