एटीएस के एडिशनल एसपी राजेश साहनी की एटीएस मुख्यालय में ही रहस्यमयी परिस्थितियों में गोली लगने से हुई मौत की घटना से पूरे महकमे में हड़कंप मच गया है।
लखनऊ से परवेज आलम की रिपोर्ट
गोमतीनगर स्थित एटीएस मुख्यालय पर दोपहर एक बजे के करीब गोली की आवाज से भगदड़ मच गई।
पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे तो देखा कि राजेश साहनी का शव पड़ा था। एडीजी कानून व्यवस्था आनंद कुमार, एसएसपी दीपक कुमार समेत कई अफसर मौके पर पहुंच गए हैं।
ISIS खुरासान मॉड्यूल का खुलासा करने वाले 1992 बैच के पीपीएस अधिकारी राजेश साहनी का नाम उत्तर प्रदेश पुलिस के बेहद काबिल अफसरों में शामिल था।
बीते सप्ताह ही पिथौरागढ़ से आईएसआई एजेंट रमेश सिंह को गिरफ्तार करने में उन्होंने अहम भूमिका अदा की थी।
कहीं विभाग से तो नहीं थे परेशान?
राजेश साहनी ने अपने ड्राइवर से पिस्तोल मंगाई थी और उसके बाद मुख्याल में गोली में मार ली। उन्होंने जान क्यों दी यह सवाल हर किसी को बेचैन कर रहा है। वहीं दबी जुबान में यह भी चर्चा है कि कहीं अपने विभाग से तो वे परेशान नहीं थे। फिलवक्त इस मामले में पुलिस अफसर देर शाम तक जांच पड़ताल करते रहे,लेकिन यह पता नहीं चल सका था। खुदकुशी का फैसला क्यों किया इसको लेकर अभी कोई सुराग नहीं मिल पाया है। मौके से कोई सुसाइड नोट भी बरामद नहीं हुआ है। राजेश काफी समय से तमाम आतंकी संगठनों के स्लीपर मॉड्यूल और भारत में आतंक की साजिशों को बेनकाब कर रहे थे।
उत्तराखंड ऑपरेशन में राजेश साहनी के साथ उनकी टीम में इंस्पेक्टर मंजीत सिंह, एसआई शैलेंद्र गिरी, कंप्यूटर ऑपरेटर वकील अहमद, कांस्टेबल हरीश और मनोज शामिल थे। पटना के रहने वाले थे बहादुर राजेश साहनी राजेश साहनी मूलरूप से पटना बिहार के निवासी थे। उनका जन्म 11 नवंबर 1969 को हुआ था। बचपन में उनकी पढ़ाई गृह जनपद से हुई। उन्होंने एमए पॉलिटिकल साइंस से पढ़ाई की। वर्ष 1992 में वह पीपीएस अधिकारी बने। 14 जनवरी 2013 को उनका प्रमोशन एडिशनल एसपी के रूप में हुआ। पिछले साल 31 मई 2017 को वह एडिशनल एसपी.पप के पद पर पदोन्नत हुए।
उन्होंने कई एनकाउंटर को अंजाम दिया। राजेश साहनी के नाम कई खूंखार अपराधियों को पकडऩे का रिकार्ड है। फिलहाल एक तेज तर्रार अफसर की मौत की खबर मिलते ही उनके परिवार में कोहराम मचा हुआ है। कहीं घरेलू कलह तो नहीं? बताया जा रहा है कि राजेश साहनी इमानदार अफसर थे और वे काम के प्रति कभी हार नहीं माने थे। उनके चेहरे पर गंभीरता के साथ मुस्कान भी हर समय रहा करती थी। एटीएस कार्यालय के जिस कमरे में उन्होंने यह कदम बढ़ाया वहां पर पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच कर गहन पड़ताल की लेकिन कोई ऐसा तथ्य नहीं मिला कि यह पता चल सके कि साहनी ने यह कदम क्यों बढय़ा। वहीं एटीएस मु यालय में तैनात कुछ पुलिसकर्मियों की मानें तो वे कई दिनों से गुमशुम रहा करते थे,लेकिन जब भी उनके सामने कोई जाता था तो वे महसूस भी नहीं होने देते थे।
इससे पहले भी कई अफसर दे चुके हैं जान 27 जुलाई 2012 को तेज तर्रार जेल अधीक्षक आरके केसरवानी ने गृह कलह के चलते कृष्णानगर स्थित अपने आवास पर पहले अपनी 40 वर्षीय पत्नी सुनीता की हत्या करने के बाद खुद को गोली मारकर जान दे दिया था। 23 जनवरी 2010 को आईबी अधिकारी गिरिजाशंकर वर्मा ने खुदकुशी कर ली। 28 नव बर 2009 को आईएएस अधिकारी हरमिन्दर सिंह ने गोली मारकर जान दी। 12 मई 2012 को एडीएम पश्चिमी विनोद राय ने सल्फास खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। 29 मई 2018 को लखनऊ स्थित एटीएस मुख्याल में तैनात तेज तर्रार एएसपी राजेश साहनी ने अपने ही द तर में खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली।