राज्यपाल को तेजस्वी के पत्र से एनडीए में बढ़ेगा टकराव
तेजस्वी यादव ने विधानसभा में पुलिस के प्रवेश और विधायकों को पीटने के मामले में राज्यपाल को पत्र लिखा। पत्र की पंक्तियों के बीच की राजनीति क्या कहती है?
कुमार अनिल
विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने आज राज्यपाल को दो पन्ने का पत्र लिखा। पत्र में पिछले 23 मार्च को विधानसभा में पुलिस के प्रवेश और सदन के भीतर विधायकों पर हमले का विस्तार से विवरण है। लेकिन इन्हीं पंक्तियों के बीच राजनीतिक निशाने साधे गए हैं।
पीएम ने कहा टीका उत्सव, इधर बिहार में फेल हुआ टीका वाहन
तेजस्वी की पंक्तियों पर जाने से पहले यह याद कर लेना बेहतर होगा कि 23 मार्च की घटना के बाद मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया क्या थी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि (उनका इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है) पुलिस को बुलाना स्पीकर का विशेषाधिकार है। उन्होंने महिला विधायकों की साड़ी खींचने और विधायकों को लात-घूंसों से पीटने पर कोई विरोध नहीं जताया। एक तरह से सीएम ने घटनाक्रम की जिम्मेवारी की गेंद स्पीकर के पाले में डाल दी।
विधायकों की पिटाई मामले में नया मोड़, पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई तय
अब स्पीकर ने कहा है कि दोषी अधिकारी पर कार्रवाई होगी। इसका अर्थ है कि उन्होंने इसे गंभीरता से लिया है।
आज तेजस्वी ने राज्यपाल को लिखा पत्र जारी किया है उसकी दो पंक्तियां खास हैं। पत्र तीन अप्रैल को लिखा गया है। तेजस्वी ने पूछा है कि आखिर किसके इशारे पर महिला मिधायक की साड़ी खींची गई, बाल नोचे गए और विधायकों को सदन में पीटा गया।
जो पुलिस सड़क पर किसी माननीय विधायक को सम्मान देते हुए सैल्यूट करती है, वही पुलिस सदन में इतनी हमलावर कैसे हो गई? क्या किसी ने इशारा किया था?
जहां मुख्यमंत्री ने पूरे घटनाक्रम के लिए स्पीकर का विशेषाधिकार कहकर पल्ला झाड़ लिया, वहीं तेजस्वी ने बिना नाम लिये इशारों-इशारों में हमले के लिए सीएम को घेरने की कोशिश की है।
स्पीकर विधायकों के साथ मार-पीट करते अफसरों पर कार्रवाई कितनी सख्ती से करते हैं, इस पर लोगों की नजर है। अगर बड़े अफसरों पर कार्रवाई होती है, तो सरकार के लिए परेशानी होगी और नाम के लिए कार्रवाई होगी, तो भाजपा पर उंगलियां उठेंगी।
जो भी हो, लगता यही है कि विपक्ष इस मुद्दे को आसानी से छोड़नेवाला नहीं है और यह प्रकरण एनडीए में खटपट की पटकथा भी लिख सकता है।