संपूर्ण क्रांति की राह पर चल पड़ा किसानों का आंदोलन
किसानों का नया नारा, खेती ही नहीं लोकतत्र के लिए भी लड़ेंगे
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन अब सम्पूर्ण क्रांति की राह पर बढ़ चला है। अब इस आंदोलन का दायरे में लोकतंत्र पर हमला,यूएपीए जैसे काला कानून व न्यायपालिका व मीडिया की स्वतंत्रता जैसे मुद्दे शामिल हो गये हैं.
किसान नेताओं ने आज राष्ट्रपति को रोष पत्र दिया। कहा, देश में अधोषित आपातकाल।
आज संयुक्त किसान मोर्चा ने आपातकाल विरोधी दिवस पर राष्ट्रपति को रोषपत्र भेजा। हर राज्य के राज्यपाल से मिलकर किसानों ने राष्ट्रपति के नाम रोषपत्र दिया। पहली बार किसान आंदोलन ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के साथ देश में लोकतंत्र का सवाल उठाया। रोषपत्र में कहा गया है कि आज छात्र-नौजवान, किसान, मजदूर, अल्पसंख्यक, दलित, आदिवासी हर वर्ग के आंदोलन का सरकार दमन कर रही है।
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किसानों ने रोषपत्र में कहा कि इमर्जेंसी की तरह आज भी अनेक देशभक्त बिना वजह जेलों में बंद हैं। विरोधियों का मुंह बंद रखने के लिए यूएपीए जैसे खतरनाक कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है। मीडिया पर डर का पहरा है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला हो रहा है। मानवाधिकारों का मखौल बन चुका है। बिना इमर्जेंसी घोषित किए ही हर रोज लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है।
पहली बार इस तरह किसानों ने न सिर्फ तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की, बल्कि कहा, देश में अघोषित इमर्जेंसी लागू है। किसानों ने पहली बार यूएपीए को खतरनाक कानून कहा। खुलकर देश में चल रहे सभी आंदोलन के साथ एकजुटता दिखाई।
हालांकि पहले भी किसान आंदोलन में जेल में बंद विभिन्न आंदोलनों के नोताओं की रिहाई के लिए उनकी तस्वीर के साथ प्रदर्शन हुआ है। तब नेशनल मीडिया ने बड़ा हल्ला किया था कि किसान सीएए विरोधी नेताओं के पक्ष में क्यों बोल रहे हैं। किसान आंदोलन का राजनीतिकरण किया जा रहा है। लेकिन आज संयुक्त किसान मोर्चा ने बाजाप्ता राष्ट्रपति को भेजे रोषपत्र में इसका जिक्र करके बता दिया कि उनका आंदोलन अब देश में लोकतंत्र की हिफाजत का आंदोलन बन गया है।
किसान आंदोलन ने आज न सिर्फ 1975 की घोषित इमर्जेंसी और आज की अघोषित इमर्जेंसी का विरोध किया, बल्कि जेपी की याद दिला दी। जेपी ने भी छात्र आंदोलन को विस्तार देते हुए उसे लोकतंत्र बचाओ आंदोलन में तब्दील कर दिया था। आज कई राज्यों में किसानों पर पुलिस का दमन भी हुआ। दिल्ली में किसानों को हिरासत में ले लिया गया।
कर्नाटक में भी किसान नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया। हैदराबाद में तेलंगाना पुलिस ने किसान नेताओं को गिरफ्तार किया। भोपाल में मोधा पटकर सहित कई किसान नेताओं को हाउस अरेस्ट किया गया।