बिहार सरकार इस रामनवमी पर साम्प्रदायिक उत्पात के प्रति ज्यादा आशंकित है. नहीं पता उसे खुफिया विभाग ने क्या इंपुट दिया है. पर बीते एक पखवाड़े में जिस तरह अनेक जिलों में हिंसा भड़काने की साजिश हुई उस पर सरकार द्वारा त्पातियों के खिलाफ एक्शन ना लेना उसकी कमजोरी दर्शाता है.
[author image=”https://naukarshahi.com/wp-content/uploads/2016/06/irshadul.haque_.jpg” ]इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉटकॉम[/author]
मामला भागलपुर अररिया और दरभंगा का है. अररिया में झूठा विडियो दिखा कर तनाव पैदा करने की कोशिश हुई. दरभंगा में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने झूठ को आधार बना कर लोगों को भड़काने की कोशिश की. एक विडियो में इसका सुबूत मौजूद है. और भागलपुर में तो हद ही हो गयी. केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे ने भीड़ को उकसाया. छोटे पैमाने पर ही सही साम्प्रदायिक हिंसा भड़की भी. मंत्रीपुत्र पर एफआईआर हुआ भी पर उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया. इतना ही नहीं, केंद्रीय मंत्री के बेटे ने पटना पहुंच कर बाजाब्ता प्रेस कांफ्रेंस की और कह डाला कि बिहार सरकार की एफआईआर को वह कूडेदान में डालते हैं. राज्य सरकार को ऐसी चुनौती देने का साहस करना आसान काम नहीं है. फिर भी उस पर कार्रवाई ना कर पाना सरकार की किसी मजबूरी को ही दर्शाता है. अगर सरकार ऐसे ही उत्पात फैलाने वालों के खिलाफ कुंडली मार कर बैठ जायेगी तो साम्प्रदायिक हिंसा के प्रति सिर्फ चिंता जाहिर कर देने से कुछ नहीं होने वाला.
दंगाइयों पर एक्शन क्यों नहीं?
बीते दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने दल के तमाम विधायकों की बैठक बुलाई. उन्हें जिम्मेदारी सौंपी कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जम जायें. यह सुनिश्चित करें कि रामनवमी के अवसर पर सब कुछ ठीक ठाक बीते. उधर पुलिस प्रशासन को यह एडवाइजरी जारी की गयी है कि बिना अनुमति के किसी भी तरह के जुलूस कि अनुमति न दी जाये. जुलूस के दौरान न तो भड़काऊ नारे लगाने दिये जायें और न ही भड़काऊ गीत बजाने दिये जायें. सरकार की यह तमाम पहल संतोष करने लायक तो है पर ले दे कर सवाल यही आ जाता है कि जिन लोगों ने हाल ही में साम्प्रदायिक भाईचारे को तार-तार करने का दुस्साहस किया उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रही है सरकार?
पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने सरकार को इस मामले पर घेरा है. उन्होंने कहा कि रामनवमी पर सुरक्षा के उचित इंतजाम किये जायें. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं. वह नीतीश सरकार से पूछ रहे हैं कि दंगा भड़काने के केंद्रीय मंत्री के आरोपी पुत्र को गिरफ्तार क्यों नहीं कर पा रही है सरकार. पर सरकार की तरफ से इस बारे में अब तक स्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है.
यह सच है कि हर साल राज्य में कहीं ना कहीं, रामनवमी के अवसर पर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जाती है. पिछले वर्ष नवादा समेत अनेक शहरों में ऐसी कोशिश की गयी. लेकिन इस बार का माहौल सरकार के लिए कुछ ज्यादा ही चुनौतीपूर्ण है. उम्मीद की जानी चाहिए कि राज्य की जनता प्रशासन के साथ सहयोग करके उल्लास के इस पर्व को अमन चैन से बिताने में मदद करेगी.