केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने संस्कृत, हिंदी, उर्दू, सहित भारतीय भाषाओं के लिए समर्पित संस्थानों को अधिक सशक्त बनाने पर बल दिया है। डॉ. निशंक ने मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय भाषायी संस्थानों के प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक करते हुए इस पर जोर दिया।
मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि भारतीय भाषाओं को सशक्त करना हमारा लक्ष्य है। इसके लिए रिक्त पदों को शीघ्रातिशीघ्र भरना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने निर्देश दिया कि मंत्रालय के अधिकारियों के साथ केंद्रीय भाषायी संस्थानों के प्रमुखों की लगातार समीक्षा बैठक होती रहनी चाहिए जिससे भारतीय भाषाओं के विकास को लगातार गति मिल सके।
डॉ. निशंक ने कहा कि संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक प्रशिक्षित संस्कृत अध्यापकों की संख्या को बढ़ावा देने का लक्ष्य होना चाहिए ताकि संस्कृत भाषा को नया आयाम मिल सके। इसके माध्यम से हम दुनिया तक संस्कृत को पंहुचा सकते हैं। उन्होंने संस्कृत पर विशेष बल देते हुए कहा कि संस्कृत संस्थानों को अपने आस पास कम से कम दो गांवों को संस्कृत भाषी बनाने का लक्ष्य रखना चाहिये।
उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं के विकास के बारे में नए तरीके से सोचने की आवश्यकता है। भारतीय भाषाओं में नये शोध की आवश्यकता है साथ ही साथ इन्हें वैज्ञानिक दृष्टि प्रदान किये जाने की भी आवश्यकता है जिससे ये भाषाएँ राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय जगत में अपनी पहचान बना सके।
डॉ. निशंक ने कहा कि भारतीय भाषाओं के साहित्य का दूसरी भाषा में अनुवाद होना चाहिए ताकि सभी को श्रेष्ठ साहित्य उपलब्ध हो सके और राज्यों में आपसी तालमेल स्थापित हो सके। केंद्रीय मंत्री ने सुझाव दिया कि हिंदी प्रचारिणी सभाओं और स्थानीय भाषाओं के बीच बेहतर समन्वय से सभी भारतीय भाषाओं का विकास सुनिश्चित किया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री ने सुझाव दिया कि हिंदी प्रचारिणी सभाओं और स्थानीय भाषाओं के बीच बेहतर समन्वय से सभी भारतीय भाषाओं का विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।