राष्ट्रपति की उम्मीदवारी से इनकार, पर ये चार सवाल अनुत्तरित
नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से इनकार कर दिया। लेकिन चार सवालों के जवाब अभी तक नहीं मिले। पहला, पीएम ने नीतीश की सराहना का क्यों की?
कुमार अनिल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी को खारिज कर दिया, लेकिन चार सवाल अब तक अनुत्तरित हैं। पहला और बड़ा सवाल है कि हाल में यूपी चुनाव में प्रचार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार की जमकर सराहना की। उन्हें सच्चा समाजवादी नेता बताया। यह भी कहा कि वे परिवार के लिए नहीं, देश-प्रदेश के लिए काम करते हैं। इसका क्या अर्थ है और क्या संदेश है?
प्रधानमंत्री मोदी कुछ भी कहेंगे, तो उसके पीछे कोई बात होगी। भाजपा खासकर बिहार भाजपा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विरोधियों की कमी नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने नीतीश की सराहना करके अपने दल के भीतर के इन नीतीश विरोधियों को संदेश दे दिया कि विरोध न करें। सवाल है नीतीश के प्रति यह बदलाव क्यों?
दूसरा सवाल यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह से क्यों मुलाकात की। यह सभी जानते हैं कि प्रशांत किशोर कांग्रेस की आलोचना करते रहते हैं और वे कांग्रेस को छोड़कर भाजपा विरोधी मोर्चा की वकालत करते रहते हैं, जो कालांतर में भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी की सहयोगी लाइन साबित होगी। पीके से मुलाकात निरर्थक नहीं हो सकती। आरसीपी सिंह से मुलाकात के पीछे भी कुछ बात है। जैसे घर का मालिक जब कोई बड़ा कदम उठाता है, तो पहले घर के अंतरविरोधों को समाप्त करता है। संभव है नीतीश भी किसी बड़े कदम से पहले अपने घर को एकजुट कर रहे हों।
तीसरा सवाल यह है कि मुख्यमंत्री की बात पर भरोसा कैसे किया जाए। वे कह चुके कि मिट्टी में मिल जाऊंगा, पर भाजपा के साथ नहीं जाऊंगा और आराम से चले गए। नीतीश की कार्यशैली से लोग परिचित हैं। वे ना-ना करते-करते अचानक हां-हां करने लगते हैं। तो राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी कल स्वीकार क्यों नहीं कर सकते?
चौथा सवाल यह है कि उन पर विपक्ष कई घोटालों को लेकर आरोप लगाता रहता है। एक बार सर्वोच्च पद पर जाने के बाद ये आरोप हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे। तो क्या यह वजह नहीं हो सकती कि वे राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बन जाएं?
और अंत में एक खास बात। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी को बेकार की बात जरूर कहा, लेकिन यह नहीं कहा कि वे राष्ट्रपति पद के इच्छुक नहीं हैं या वे बिहार की सेवा करना चाहते हैं और यहीं रहेंगे।
पर्दा उठने में थोड़ा वक्त है। इंतजार करिए।
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