रत्नेश सदा बने मंत्री, कहा-पुत्रमोह में बिक चुके हैं मांझी
रत्नेश सदा बने मंत्री, कहा-पुत्रमोह में बिक चुके हैं मांझी। परिवार के लिए मनुवादियों के सामने सरेंडर किया। दशरथ मांझी के के बेटे और दामाद जदयू में शामिल।
नए मंत्री रत्नेश सदा और उमेश कुशवाहा दशरथ मांझी के बेटे और दामाद का जदयू में स्वागत करते हुए
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और उनके बेटे संतोष सुमन के महागठबंधन से अलग होने के तीन दिन बाद ही उन्हीं की बिरादरी के रत्नेश सदा को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। सदा ने विधायक बनने से पहले रिक्शा तक चलाया है। वे तीन बार से जदयू विधायक हैं। वे संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग के नए मंत्री बन गए। शुक्रवार को शपथ के बाद जदयू कार्यालय में उनका जोरदार स्वागत हुआ। उन्होंने कहा कि जीतनराम मांझी पुत्रमोह में भाजपा और संघ के हाथों बिक चुके हैं। रत्नेश सदा के स्वागत कार्यक्रम में ही माउंटेनमैन दशरथ मांझी के बेटे और दामाद जदयू में शामिल हो गए।
रत्नेश सदा ने कहा कि महादलितों के असली मसीहा नीतीश कुमार हैं। पहले अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग नेता नहीं बनते थे लेकिन मुख्यमंत्री जी ने पंचायत में आरक्षण देकर दलित/महादलित समाज को लोकतंत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का अवसर दिया। जीतन राम मांझी पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस व्यक्ति को मुख्यमंत्री ने सम्मान दिलाया, उन्हें मुख्यमंत्री पद तक पहुंचाया उसी जीतन राम मांझी ने बार-बार नीतीश कुमार की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया।
सदा ने कहा कि सन्तोष मांझी की पहचान केवल पिता से है। राजनीतिक और सामाजिक जीवन में शून्य भागीदारी रही है, बस अपने पिता की बदौलत मंत्री पद हासिल की।
रत्नेश सदा भी जीतनराम मांझी की ही जाति मुसहर से आते हैं। आज जिस प्रकार पार्टी ने उनका स्वागत किया, इससे स्पष्ट है कि उन्हें राज्य स्तर पर दलित नेता और खासकर मुसहर समुदाय के नेता के बतौर आगे बढ़ाया जाएगा। जहां जीतनराम मांझी के बेटे के बार में कहा जाता है कि वे आम लोगों के बीच कम जाते हैं, वहीं सदा आम लोगों से सीधे जुड़ने के लिए जाने जाते हैं। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने दशरथ मांझी के बेटे का भी जोरदार स्वागत किया। जीतनराम मांझी भी गया-जहानाबाद की ही राजनीति में रहे हैं। अब दशरथ मांझी के बेटे के जदयू में शामिल होने से जीतनराम मांझी को सीधी चुनौती मिल सकती है।
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