पूर्व केंद्रीय मंत्री जदयू छोड़ने के बाद भाजपा में गए, लेकिन वहां भापी उपेक्षा के शिकार हैं। उन्होंने फिर से जदयू में शामिल होने की कोशिश की, पर नकारात्मक उत्तर मिला। अब वे पहली बार राजद का दरवाजा खटखटा रहे हैं। क्या तेजस्वी यादव उन्हें पार्टी में शामिल करेंगे?
आरसीपी सिंह के एक नए बयान से कयास लगाए जा रहे हैं कि वे राजद में शामिल होना चाहते हैं। प्रशांत किशोर तेजस्वी यादव पर तीखा हमला करते हैं।वे बार-बार तेजस्वी यादव को नौंवी फेल बता कर मजाक उड़ाते हैं। ठीक इसी सवाल पर उन्होंने प्रशांत किशोर के तर्क को खारिज करते हुए तेजस्वी यादव का जबरदस्त पक्ष लिया। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि राजनीति का अर्थ होता है सेवा करना। सेवा करने में डिग्री का महत्व नहीं होता है। कोई पीएचडी है, लेकिन जनता के दुख से उसे मतलब नहीं, तो राजनीति में उसके पीएचडी का कोई महत्व नहीं है। इसके विपरीत किसी के पास बड़ी डिग्री न हो, लेकिन वह जनता के प्रति समर्पित हो। और जनता उसे विधायक या सांसद चुन लेती है, तो बात खत्म हो गई। वह मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री कुछ भी बन सकता है। इसमें डिग्री का कोई रोल नहीं है। ये बातें कह कर आरसीपी सिंह ने तेजस्वी यादव का पक्ष लिया और साफ कर दिया है कि तेजस्वी मौका देंगे, तो वे राजद में जा सकते हैं।
एक समय आरसीपी सिंह की बिहार में तूती बोलती थी। उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी माना जाता था, लेकिन वे भाजपा के करीब गए और जदयू से अलग होना पड़ा। केंद्रीय मंत्री रहते भाजपा ने उन्हें खूब पूछा, लेकिन मंत्री का कार्यकाल समाप्त होते ही उन्हें दूध में गिरी मख्खी की तरह निकाल फेंका। बाद में वे भाजपा में शामिल होने के लिए चिरौरी करते रहे। कई बार दिल्ली गए। फिर कई महीनों के बाद भाजपा ने शामिल किया, लेकिन कोई पद नहीं दिया। लोकसभा चुनाव में टिकट देना तो दूर, प्रचार के लिए भी पूछा तक नहीं। आरसीपी सिंह ने इसके बाद नीतीश कुमार की सराहना शुरू की, लेकिन जदयू ने कोई भाव नहीं दिया। अब हार कर उनके लिए राजद ही एक दल बचा है, जहां अगर उन्हें सम्मानजनक स्थान मिले, तो वे कुछ करके दिखा सकते हैं। इतना तो मानना पड़ेगा कि आरसीपी सिंह बहुत अच्छे संगठक हैं। जदयू के कार्यकर्ता आज भी उन्हें इस बात के लिए याद करते हैं। तो वहीं सवाल कि क्या तेजस्वी यादव आरसीपी के लिए राजद का दरवाजा खोलेंगे?