प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आरक्षण पर दिए बयान के बाद एक बार फिर से राजनीति गरमा गई है। अब तक इंडिया गठबंधन के विभिन्न दल आरोप लगा रहे थे कि 2014 में भाजपा जीत गई, तो संविधान और दलित-पिछड़ों का आरक्षण खत्म कर देगी। अब प्रधानमंत्री मोदी के बयान से एक बार फिर बहस छिड़ सकती है। प्रधानमंत्री ने जहां आरक्षण के आधार पर सवाल उठाया है, वहीं उप्र के मुख्यमंत्री ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का सवागत किया है। हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 37 वर्गों को दिए गए ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) आरक्षण (OBC Reservation Cancel) रद्द करते हुए इस प्रक्रिया को असंवैधानिक करार दिया। कोर्ट ने कहा, उसका मानना है कि मुसलमानों के 77 वर्गों को पिछड़ों के तौर पर चुना जाना पूरे मुस्लिम समुदाय का अपमान है। योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को उप्र में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस वाले पिछड़ों का आरक्षण मुसलमानों को दे देंगे। मीडिया की खबरों में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट का निर्णय मुसलमानों को आरक्षण देने के खिलाफ है।
—————–
Manoj Jha ने कहा किसी के दबाव में काम न करें अधिकारी
उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सभा को संबोधित करते हुए पूछा कि क्या ब्राह्मण और बनिया में गरीब नहीं होते। इनके आरक्षण के बारे में कांग्रेस ने कभी नहीं सोचा। उनके इस बयान से बहस छिड़ सकती है कि क्या आरक्षण का अधार सामाजिक-शैक्षणिक पिछड़ेपन को हटा कर आर्थिक आधार कर दिया जाना चाहिए। मालूम हो कि संविधान के अनुसार आरक्षण का आधार आर्थिक नहीं हो सकता। आर्थिक रूप से पिछड़े या गरीब के लिए सरकार गरीबी उन्मूलन के अन्य उपाय करती है, जबकि आरक्षण को सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए ही सीमित रखा गया है। हालांकि मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए भी आरक्षण का प्रावधान कर दिया है।