मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और ललन सिंह में दशकों पुराना संबंध है। ललन सिंह मुख्यमंत्री के सबसे विश्वस्त लोगों में एक हैं, लेकिन पहली बार नीतीश कुमार ने ललन सिंह को अपनी कोर कमेटी से बाहर का रास्ता दिखा है।
दरअसल ललन सिंह ने लोकसभा में वक्फ एक्ट में संशोधन बिल का पुरजोर समर्थन किया था। भाजपा के एजेंडे का समर्थन करते हुए उन्होंने चीख-चीख कर यहां तक कहा था कि वक्फ बोर्ड का गठन सरकार ने किया था और अगर कोई संस्था मनमानी करने लगे, निरंकुश हो जाए, तो सरकार को उसके नियमों में संशोधन का अधिकार है। उन्होंने जिस प्रकार वक्फ एक्ट में संधोधन का समर्थन किया, उससे बिहार के मुसलमानों में नीतीश कुमार से भारी नाराजगी हो गई। नीतीश कुमार से पार्टी के मुस्लिम नेताओं ने मुलाकात की और पूरी स्थिति बताई। इसके बाद नीतीश कुमार एक्शन में आए और उन्होंने ललन सिंह को अपनी कोर कमेटी से बाहर कर दिया। यही नहीं अब पार्टी ने ललन सिंह के बयान के विरुद्ध स्टैंड ले लिया है। पार्टी ने वक्फ एक्ट में संशोधऩ का विरोध कर दिया है और कहा है कि वक्फ एक्ट में कोई भी संशोधऩ मुस्लिमों की सहमति के बिना नहीं किया।
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इधर कल ही नीतीश कुमार के निर्देश पर पार्टी की राष्ट्रीय कमेटी का गठन किया गया। इसमें सभी प्रमुख नेताओं के नाम हैं, लेकिन ललन सिंह को किसी पद पर नहीं रखा गया है। उन्हें इस प्रकार संगठन से बाहर किए जाने पर राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने ललन सिंह को वक्फ एक्ट में संशोधन बिल पर भाजपा का समर्थन करने की सजा दी है। यह भी कहा जा रहा है कि इस मुद्दे पर ललन सिंह पार्टी में अलग-थलग पड़ गए हैं। सारे मुस्लिम नेता वक्फ एक्ट में संशोधन के खिलाफ हैं। अब तो पार्टी ने अपना स्टैंड भी क्लियर कर दिया है।