गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लालू प्रसाद को एम्स से हटा कर रांची के रिम्स में ट्रांस्फर कर दिया गया है. रिम्स की बदहाली और मरीजों की दुर्दशा के चलते राजद नेता ही क्या साधारण व्यक्ति की रूह भी कांप जायेगी. पढ़िये ये चार घटनायें.
पढिये मीडिया में छपी रिम्स की बदहाली की चार मिसालें.
एक-
जिस दिन लालू प्रसाद को रिम्स लाया गया ठीक उससे एक दिन पहले एक गर्भवती की मौत सिर्फ  इसलिए हुई कि लिफ्ट को खाना ढोने वाले कर्मचारियों ने रोक रखी थी. और दूसरी लिफ्ट खराब पड़ी थी.
एक मई, 2018, प्रभात खबर
दो-
सरकार की रिपोर्ट बताती है कि जनवरी से अगस्त तक रिम्स में 660 बच्चों की मौत हुई है। इनमें 413 बच्चों की मौत जन्म के महज 24 घंटों के भीतर हो गई जबकि 247 की इसके बाद। रिम्स में पिछले आठ माह में भर्ती 4855 बच्चों में से 13.59 फीसद बच्चों को अस्पताल बचा नहीं सका।
1.9.17, जागरण 
 
तीन-
रांची में झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल ‘रिम्स’ में कई वार्डों में मरीजों के परिजन बिजली और पानी की बदहाल व्यवस्था से त्रस्त हैं. हाल ये है की अगर आपको यहाँ इलाज कराना है तो घर से पानी और पंखा साथ लाना होगा. दरअसल स्वास्थय सुविधाओं को दुरुस्त करने की दुहाई देती सरकार मरीजों को बुनियादी सुविधा भी उपलब्ध कराने में असफल नजर आ रही है. गौरतलब है कि इस अस्पताल का सालाना बजट करीब तीन सौ करोड़ का है.
21 अप्रैल 2017, आजतक न्यूज वेबसाइट
 
चार- 
रिम्स की बदहाली किसी से छिपी नहीं है. आये दिन कोई न कोई अव्यवस्था का मंजर यहां दिख जाता है. आम लोग तो रिम्स की अव्यवस्था का शिकार होते ही रहते हैं, लेकिन मामला जब स्वास्थ्य मंत्री के रिश्तेदार से जुड़ा हो तो हैरानी और बढ़ जाती है. जी हैं रिम्स में इलाज कराने आये स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी के एक रिश्तेदार भी यहां की अव्यवस्था का शिकार हुए हैं. 17 दिन से बेड पर पड़ा है पर अभी तक आपरेशन नहीं हुआ.
एक जनवरी, 2018, न्यूज विंग

By Editor


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